फतेह लाइव, रिपोर्टर.
झारखंड बांग्ला बहुल राज्य होने एवं इस राज्य में ४२ प्रतिशत आबादी बांग्ला भाषी होने के बावजूद राज्य गठन के बाद से ही पिछले २४ वर्षों से बांग्ला भाषा एवं संस्कृति संकट में है। राज्य के सभी सत्तासीन सरकारों और प्रशासन के द्वारा इसे हासिये पर डालने का ही काम किया गया है।
जबकि राज्य के पांच प्रमंडलों में से कोल्हान, उत्तरी छोटा नागपुर, दक्षिणी छोटा नागपुर तथा संथाल परगना में बांग्ला भाषा भाषियों बहुसंख्य लोगों का निसार है।
इन प्रमंडलों में बांग्ला लोकाचार,लोक संस्कृति,लोक कला, बांग्ला रीति रिवाज, पूजा पाठ की ही प्रधानता है।राज्य के चोबीस जिलों में से सोलह जिलों में बंगला भाषा ही प्रधान सम्पर्क भाषा है। इसके बाबजूद सत्ता एवं शासन द्वारा बांग्ला भाषा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।जबकि सन २०११ के जनगणना के आधार पर बांग्ला हिन्दी के बाद देश की दूसरी प्रमुख भाषा घोषित है।
पिछले चौबीस बरसों में न तो बांग्ला को राज्य के द्वितीय भाषा के रूप में अधिसूचित किया गया,न ही बांग्ला अकादमी का गठन किया गया, न ही स्कूलों में बांग्ला टीचर ही नियुक्ति किए गए। इन कारणों से राज्य के बांग्ला भाषियों में भारी असंतोष है। इसलिए इस बार बांग्ला भाषी अपने अधिकार एवं सम्मान के रक्षा के लिए पिछले दो बरसों से योजना बद्ध तरीके से राज्य भर में बांग्ला भाषी संगठनों को एक जुट कर राज्य स्तरीय आंदोलन शुरू किया गया है, जिसके तहत मार्च, २०२३ को जमशेदपुर के गोपाल मैदान में बंग उत्सव का अयोजन, अप्रैल,२३ में रांची के यूनियन क्लब में बंग सम्मेलन, फिर रांची में ही मई २३ को बांग्ला संस्कृति मेला,जून, २३ में रामगढ़ में झारखंड बंगाली समिति का राज्य अधिवेशन, जुलाई, २३ में राज्य के सभी जिलों के उपाउक्तों के के कार्यकाल पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन समर्पन।
इन आयोजनों के आधार पर जुलाई २३ में राज्य के सभी चौबीसों जिलों के दो सौ से अधिक संगठनों का एक संयुक्त फोरम ,”झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति” का गठन किया गया।११ दिसंबर,२०२३ को समिति द्वारा रांची में एक विशाल रैली का अयोजन कर राज्यपाल को नौ सूत्री अपनी मांग से संबंधित ज्ञापन समर्पित कर राज्य सरकार के साथ साथ सभी राजनैतिक दलों को भी यह साफ साफ संकेत दे दिया गया है कि अब राज्य के एक करोड़ तीस लाख बांग्ला भाषियों की उपेक्षा एवं अनदेखी उन्हे भारी पड़ेगी। राज्य के बांग्ला भाषी अब चुप नहीं बैठेंगे। इस महाधरना के माध्यम से हम अपनी निम्नवत नौ सूत्री मांगों की अविलंब पूर्ति की मांग सरकार से करते हैं।
ये है मांग
१) अविलंब बांग्ला भाषी टीचर की नियुक्ति की जाय।
२) अविलंब बांग्ला पुस्तकों के छपाई का काम शुरू किया जाय।
३) बांग्ला अकादमी का गठन अविलंब किया जाय।
४)राज्य में बांग्ला को द्वितीय राजभाषा की घोषण। से संबंधित अधिसूचना प्रकाशित कर उसका क्रियान्वयन किया जाए।
५)नई एजुकेशन नीति के अनुसार हर सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों में बांग्ला भाषा की अनिवार्य रूप से पढ़ाई शुरू किया जाय।
६)बार बार मांग किए जाने के बाद चार वर्ष आठ माह के बाद राज्य अल्प संख्यक आयोग में मात्र एक सदस्य नियुक्त किया गया है, अविलंब एक उपाध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति की जाय।
७) राज्य के बांग्ला बहुल इलाकों के रेलवे स्टेशनों के नाम पूर्व की भांति बांग्ला में लिखे जाएं।
८) चैतन्य महाप्रभु के नाम पर NH-33 का नामकरण किया जाय।
९) झारखंड की राजनीति में बांग्ला भाषियों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाय।
उल्लेख करना है कि दिनाक १०.०९.२०२४ को ही उपरोक्त मांगो के समर्थन मेंझारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समितिके बैनर तले सुबह १० बजे नेताजी सुभाष मैदान में जमशेदपुर सह बोरम,पटमदा, पोटका, घाटशिला, चाकुलिया,बहरागोड़ा, सराईकेला – खरसावा, पश्चिम सिंहभूम से बंगाली समुदाय के लोग समल्लित होकर पदयात्रा करके जमशेदपुर उपयुक्त कार्यालय के द्वार के विपरीत दिशा में धरना मंच मे शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के धनबाद जिलेके रणधीर वर्मा चौक पर महाधरना का आयोजन किया गया है। अब झारखंड में बांग्ला भाषियों का एक ही नारा है,” जो बांग्ला हित में बात करेगा, वही झारखंड में राज करेगा”।
ये थे उपस्थित
तापस चटर्जी, देवीशंकर दत्ता, अंगशुमान चौधरी, विश्वनाथ घोष, बनामाली बनर्जी, कोरुनामोय मंडल, बिसनाथ राय, सुबोध गोराई, अनिमेष राय, गौरी कर, बल्टू सरकार, सामंत कुमार, असित चक्रबर्ती, असित भट्टाचार्जी, ओमियों ओझा, शिवनाथ पाल, जुरान मुखर्जी आदि उपस्थित थे.