• भारतीय रेल ने पहाड़ी इलाकों में बनाई सबसे लंबी सुरंग
  • उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों को जोड़ने की दिशा में बड़ी पहल

फतेह लाइव, रिपोर्टर

योगनगरी ऋषिकेश से तपोनगरी कर्णप्रयाग तक का सफर अब महज दो घंटे में पूरा किया जा सकेगा. भारतीय रेल ने उत्तराखंड के भौगोलिक रूप से संवेदनशील और कठिन इलाकों में सबसे लंबी रेलवे सुरंग का निर्माण कर एक नई मिसाल पेश की है. यह 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का हिस्सा है, जिसे भारतीय रेल ने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए सफलतापूर्वक पूरा किया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16 अप्रैल 2025 को इस परियोजना के ब्रेकथ्रू की घोषणा करते हुए बताया कि इसमें सबसे लंबी रेलवे सुरंग 14.577 किमी लंबी है, जो देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही है. यह सुरंग भारत के निर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व सटीकता और गति का प्रदर्शन करती है, जिससे पहाड़ी इलाकों में रेल नेटवर्क का विस्तार संभव हुआ है.

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परियोजना में शामिल आधुनिक तकनीक और समर्पित टीम का योगदान

इस परियोजना की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका 83 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों से गुजरता है, जिसमें 17 मुख्य सुरंगें और 12 एस्केप टनल शामिल हैं. सुरंग निर्माण में टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग किया गया है, जिसमें ‘शिव’ और ‘शक्ति’ जैसी मशीनों ने अभूतपूर्व प्रगति दर्ज की. अगस्त 2024 में इन मशीनों ने एक महीने में 1080.11 रनिंग मीटर सुरंग खोदकर नया रिकॉर्ड बनाया था. इसके साथ ही 38 सुरंग ब्रेकथ्रू में से 28 पूरे हो चुके हैं, और यह परियोजना पूरी तरह से 2027 के मध्य तक चालू हो सकती है. इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों को रेल नेटवर्क से जोड़ना है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सुविधाजनक बनाएगा, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक नई जीवनशैली की शुरुआत करेगा.

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सुरंग निर्माण में भारतीय रेल की तकनीकी विशेषज्ञता और सटीकता का प्रमाण

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को लेकर स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों में उत्साह है, क्योंकि यह रेलवे लाइन 6-7 घंटे के सड़क मार्ग को दो घंटे में समेटने में सक्षम होगी. सड़क मार्ग पर मौसम और भूस्खलन के कारण यात्रियों को अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब यह रेल मार्ग उन्हें सुरक्षित, तेज और निर्बाध यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा. यह परियोजना केवल यात्रा को सुविधाजनक नहीं बनाएगी, बल्कि उत्तराखंड के पांच प्रमुख जिलों—देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली—को रेल नेटवर्क से जोड़कर यहां के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गति प्रदान करेगी. इस परियोजना का 83 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों के माध्यम से गुजरने के कारण यह मौसम की परिस्थितियों से अप्रभावित रहेगा, जिससे यात्रियों को साल भर निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी.

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चारधाम यात्रा के अनुभव में आएगी क्रांतिकारी बदलाव

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड में पर्यटन को नई दिशा देने वाली है. उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों के अलावा, इस रेल मार्ग से ऋषिकेश, हरिद्वार और औली जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा. इससे न केवल स्थानीय व्यापार और होटल उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यहां के सुदूर क्षेत्रों में नए व्यापार केंद्रों के विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा. देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और गौचर जैसे शहरों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे. यह परियोजना भारतीय रेल की चारधाम रेल परियोजना का अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र तीर्थ स्थलों—यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ—को रेल नेटवर्क से जोड़ना है. इस परियोजना से न केवल यात्रा सुगम होगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी नई दिशा मिलेगी.

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