- बांग्ला भाषा-संस्कृति संरक्षण के लिए समाज में बढ़ी जागरूकता
फतेह लाइव, रिपोर्टर
पोटका के खैरपाल गांव में बांग्ला क्लब के 55वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में भव्य जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बांग्ला भाषा, संस्कृति और बांग्लाभाषी समुदाय के अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति सामाजिक चेतना बढ़ाना था. कार्यक्रम में ‘अपूर पाठशाला’ के समर्पित शिक्षकों को समिति की ओर से उपहार, अंगवस्त्र एवं सामाजिक संस्था गाजूर के संस्थापक जन्मजय सरदार द्वारा वृक्ष प्रदान कर सम्मानित किया गया. इस मौके पर समाज के कई बुद्धिजीवियों ने बांग्ला भाषा की वर्तमान दयनीय स्थिति पर चिंता जताई और मातृभाषा को शिक्षा की मुख्यधारा में बनाए रखने का आग्रह किया.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : सेवानिवृत्त कर्मियों को समारोहपूर्वक दी गई भावभीनी विदाई
बांग्ला भाषा के संरक्षण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण
कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि राज्य में अधिकांश बांग्ला विद्यालय पाठ्यपुस्तकों की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण बंद होने के कगार पर हैं. ऐसे हालात में बंगाली समाज ने यह संकल्प लिया है कि वे ‘अपूर पाठशालाओं’ के माध्यम से निःशुल्क बांग्ला प्राथमिक शिक्षा बच्चों तक पहुंचाएंगे. सभी ने एक स्वर में कहा कि सामाजिक, प्रशासनिक और शैक्षणिक चुनौतियों के बावजूद बंगाली समाज अपनी नई पीढ़ी को मातृभाषा से वंचित नहीं होने देगा. कार्यक्रम में रांची स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन की कड़ी निंदा भी की गई तथा विगत 25 वर्षों में बंगला अकादमी के गठन न हो पाने पर गहरा दुःख व्यक्त किया गया.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : समर्पण एक नेक पहल का 5वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया
बांग्ला शिक्षा के वर्तमान संकट और समाधान
बैठक के समापन पर यह संकल्प लिया गया कि राज्य में बांग्ला भाषा और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए प्रत्येक बांग्ला संगठन और नागरिक अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाएंगे. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से साहित्यकार एवं समाजसेवी सुनील कुमार दे, गौरांग साउ, ब्रजेन्द्र दास, कृष्ण पद मंडल, शरतचन्द्र दास, जन्मेजय सरदार, रमनी मोहन दास सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे. सभी ने मिलकर मातृभाषा के प्रति अपने दायित्वों को समझते हुए इसे संरक्षित करने का आश्वासन दिया.