*उफ! फिर आज फंस गये फाटक में…*

 

 

 

*अब तक कई मरीजों की जान रेलवे फाटक बंद रहने से एंबुलेंस में तड़प कर हो गई है।*

 

*सताइस महीना बीत जाने के बाद भी नही चालू हुआ निर्माण कार्य*

 

चंदवा। लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में बॉक्साइट और कोयला जैसे खनिजों का टोरी साइडिंग में भंडारण के पश्चात मालगाड़ी के डिब्बों में लोड कर रेल मार्ग से अन्यत्र भेजा जाता है जिसके चलते एनएच 22 अति व्यस्त मार्ग बन चुका है, इसी एनएच पर स्थित टोरी रेलवे फाटक लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है।

 

ओवरब्रिज नहीं रहने के कारण इधर से प्रतिदिन गुजरने वाले हजारों की संख्या में छोटे-बड़े वाहन और लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान फाटक बंद मिलने से उनके मुख से एक ही बात निकलती है उफ़ फिर फंस गए फाटक में। ओवरब्रिज नहीं रहने से स्कूली बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं समेत सभी अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक में खड़ी मालगाड़ियों के नीचे से पार होने का दुस्साहस करते हैँ। उनकी विवशता आज तक रेलवे प्रशासन नहीं समझ सका। ओवरब्रिज निर्माण को लेकर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने कई बार आंदोलन के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराने का प्रयास किया गया और रेलवे के उच्चाधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा गया। अब तक कई मरीजों की जान रेलवे फाटक बंद रहने से एंबुलेंस में तड़प कर हो गई है।

 

*3 अप्रैल 2021 को टोरी आरओबी निर्माण का हुआ था शिलान्यास*

3 अप्रैल 2021 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सांसद सुनील सिंह और विधायक बैजनाथ राम के द्वारा ओवरब्रिज के निर्माण का ऑनलाइन शिलान्यास किया गया था परन्तु दो वर्ष से भी ज्यादा समय बीत चुके हैँ अब तक ओवरब्रिज निर्माण कार्य शुरु नहीं हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

 

*86 वर्षों में अब तक जरूरी नहीं समझा गया ओवरब्रिज निर्माण*

टोरी स्टेशन की स्थापना 1937 मे तब हुई जब डाल्टेनगंज से बरकाकाना तक 185 किमी रेल लाइन बिछायी गई। 1974 मे डाल्टेनगंज से पतरातु तक दोहरीकरण का कार्य भी कर दिया गया मगर इन 86 वर्षों मे ओवरब्रिज निर्माण जरूरी नहीं समझा गया जो संवेदनहीनता का प्रतीक है।

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