सीजीपीसी में हर रविवार सिखाया जायेगा दस्तार सजाना तथा गुरमुखी
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (सीजीपीसी) ने एक अहम फैसला लेते हुए उनके अंतर्गत आने वाले कोल्हान के सभी 34 गुरुद्वारा कमिटियों से आह्वान किया है कि आगामी स्कूल ग्रीष्मवकाश के दौरान अपने परिक्षेत्र के बच्चों को गुरुमुखी की शिक्षा एवं गुरमत रहत मर्यादा सिखाये जाने की व्यवस्था करें.
सोमवार को साकची स्थित सीजीपीसी कार्यालय में सीजीपीसी के चेयरमैन सह झारखण्ड राज्य गुरुद्वारा कमिटी के प्रधान सरदार शैलेंदर सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले दिनों कोर कमिटी की एक बैठक बुलायी गयी थी, जिसमे सरदार शैलेंद्र सिंह की अध्यक्ष्ता में नरेंद्रपाल सिंह भाटिया, साकची के प्रधान सरदार निशान सिंह, चंचल सिंह, महासचिव अमरजीत सिंह व गुरुचरण सिंह बिल्ला, कोषाध्यक्ष गुरनाम सिंह बेदी, सुखदेव सिंह बिट्टू, कुलदीप सिंह शेरगिल, हरजिंदर सिंह, परमजीत सिंह काले, जगजीत सिंह, दर्शन सिंह काले, सेंट्रल नौजवान सभा प्रधान अमरीक सिंह, त्रिलोचन सिंह, सुरजीत सिंह, हरविंदर सिंह गुल्लू, जगतार सिंह नागी शामिल हुए थे.
सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि कोल्हान की सभी गुरुद्वारा कमिटियां स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों एवं उनके अभिवावकों या अन्य इच्छुक संगत के लिए गुरुमुखी भाषा की शिक्षा एवं रहत मर्यादा सीखाने के लिए एक विशेष अभियान चलाये जाने की आवशयकता है. इसलिए उन्होंने कुछ गुरुद्वारा कमिटियों को इस बाबत सूचित भी कर दिया है और अन्य सभी को सूचित किया जा रहा है. शैलेंदर सिंह का कहना है कि, यदि किसी गुरुद्वारा कमिटी को इस अभियान की सफलता के लिए किसी भी तरह के सहयोग की अपेक्षा है तो वे सीजीपीसी से संपर्क कर सकते हैं.
वहीं, दूसरी तरफ, सेंट्रल सिख नौजवान सभा (सीएसएनएस) भी इस अभियान का हिस्सा बनते हुए अब हर रविवार को सीजीपीसी कार्यालय में दस्तार सजाने और गुरमुखी सिखलाई की दो घंटे की विशेष क्लास लगायेगी. सीएसएनएस के प्रधान अमरीक सिंह ने बताया कि सीजीपीसी के आपार सहयोग से सीएसएनएस ने यह पहल की है जिसकी शुरुआत हो चुकी है. अमरीक सिंह ने बताया की जमशेदपुर के टर्बनेटर राजकमलजीत सिंह और संदीप सिंह दस्तार कोच के रूप में अपनी सेवायें देंगे, जबकि सीएसएनएस के महासचिव सुखवंत सिंह सुक्खू और मानगो गुरुद्वारा के महासचिव जसवंत सिंह जस्सु गुरमुखी के शिक्षक होंगे. दस्तार और गुरमुखी की यह विशेष क्लास हर रविवार सुबह आठ बजे से दस बजे तक आयोजित की जायेगी, जिसमें कोई भी सिख दस्तार सजाने की कला सीख सकता है.