फतेह लाइव, रिपोर्टर.
सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) को सोमवार को झारखंड सिख समन्वय समिति (जेएसएसएस) ने फिर एक मामले में लपेटे में लिया है. समिति के संरक्षक गुरमुख सिंह मुखे और प्रधान तारा सिंह ने एक बयान जारी किया और सीजीपीसी पर आरोप लगाया है कि वह केवल राजनीति में मग्न है. उसे कौम की कोई फिक्र नहीं है. पंथ पर पहरा देने की बड़ी बड़ी बातें करने वाले सीजीपीसी प्रधान भगवान सिंह और चेयरमैन शैलेन्द्र सिंह केवल अखबारों में बने रहने के लिए समाज के साथ धोखा और छल कर रहे हैं.
नेताद्वय का यह बयान उस बात पर है, जब सोमवार को एक अंतिम अरदास के कार्यक्रम में यह ओहदेदार साकची गुरुद्वारा में सेंट्रल सिख स्त्री सत्संग सभा की चेयरमैन बीबी सुखजीत कौर की अंतिम अरदास में आये थे.
यहां अंत में सीजीपीसी की ओर से स्व. सुखजीत कौर के परिवार को उनके कार्यों की याद में एक प्रशस्ति व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया. वह सम्मान पत्र में बीबी सुखजीत कौर को श्रद्धांजलि देने के लिए जो उदगार व्यक्त किये गए थे, वह हिंदी भाषा में लिखे गए हैं. इसके साथ ही उसे पढ़कर भी हिंदी भाषा में ही संगत को सुनाया गया.
समिति के अधिकारी मुखे और तारा सिंह ने सीजीपीसी के इस कार्य की कड़े शब्दों में अलोचना की है. उन्होंने आरोप लगाया कि सीजीपीसी के ये ओहदेदार पंथ को कहां ढकेल रहे हैं. सीजीपीसी एक धार्मिक संस्था है. पंथ पर पहरा देना उनका काम है. ऐसे में गुरमुखी भाषा को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता बनती है, लेकिन इन नेताओं ने सारे नियमों को तार तार कर दिया है.
उनका कहना है कि वह स्मार पत्र गुरमुखी भाषा में प्रकाशित किया जाना चाहिए थे तथा उसे संगत को गुरमुखी भाषा में पढ़कर सुनाना चाहिए था. ऐसा तब किया जाता है जब कोई दूसरे धर्म का बड़ा व्यक्ति बैठा हो, तो हिंदी का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन यहां तो सब समाज के ही लोग थे.
कुल मिलाकर नेताद्वय ने यह आरोप लगाया है कि इन्हें केवल नेतागिरी करनी है और डेली अखबारों की सुर्खियों में बने रहना है. समिति के दोनों पदाधिकारियों के बयान का समर्थन अमरजीत सिंह अम्बे, अवतार सिंह भाटिया, जसबीर सिंह पदरी, बलजीत सिंह, दलजीत सिंह दल्ली, तरसेम सिंह सेमे, सुखदेव सिंह मल्ली, गुरदीप सिंह काके, दलजीत सिंह बिल्ला, नवतेज सिंह आदि ने किया है और घटना की निंदा की है.
ज्ञात हो कि एक दिन पूर्व ही समिति ने सीजीपीसी के इन नेताओं को तब आड़े हाथ लिया था जब वह दिल्ली में एक केंद्रीय मंत्री को गुरु की तस्वीर भेंट कर रहे थे, जहां मंत्री का सिर ढंका हुआ नहीं था.
(नोट : यह खबर प्रकाशित करके हमारा मकसद किसी को ठेस पहुँचाना नहीं है, केवल सच्चाई को समाज के सामने लाना है. फिर भी इसमें किसी प्रकार की आपत्ति किसी को है तो वह अपना पक्ष “फतेह लाइव” के 9234051616 नंबर पर व्हाट्सअप या [email protected] पर भेज सकते हैं. उनकी बातों को भी प्रमुखता से रखा जायेगा.)