वेज रिवीजन पर शीर्ष नेतृत्व की खामोशी तोड़ने पहुंच गए टाटा वर्कर्स यूनियन के कार्यालय
याद दिलाया कि वेज रिवीजन में जितना विलंब होगा, उतना एनएस कर्मचारियों को नुकसान
संजीव तिवारी और श्याम बाबू के साथ एनएस ग्रेड के 85 कमेटी मैम्बरों ने दिखाई एकजुटता
चरणजीत सिंह.
टाटा स्टील में एक जनवरी 2025 से वेज रिवीजन लंबित हो जायेगा। अगर वेज रिवीजन का समझौता हो जाय तो कर्मचारियों को नये साल के पहले दिन से नया वेतनमान मिलना शुरू हो जायेगा। हालांकि, टाटा वर्कर्स यूनियन के शीर्ष नेतृत्व ने वेज रिवीजन के लिए टाटा स्टील प्रबंधन को अभी तक चार्टर ऑफ डिमांड तक नहीं दिया है। यूनियन नेतृत्व ने इसके लिए शुरुआत भी नहीं की है। यूनियन नेतृत्व के इस रवैये पर आखिरकार टाटा स्टील के एनएस कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट गया। कर्मचारियों का दबाव ही है जिसकी वजह से एनएस ग्रेड के सभी 85 कमेटी मैम्बर बुधवार को टाटा वर्कर्स यूनियन के कार्यालय धमक गए।
ये भी पढ़ें : Tata Worker Union : टुन्नू चौधरी ने माना, वेज रिवीजन के लिए छह माह पहले देना चाहिए चार्टर ऑफ डिमांड
यूनियन उपाध्यक्ष संजीव तिवारी और सहायक सचिव श्याम बाबू की अगवाई में सारे कमेटी मैम्बरों ने यूनियन अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी, डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार और महामंत्री सतीश कुमार सिंह से मुलाकात की। एनएस कर्मचारियों की ओर से यूनियन नेतृत्व को चार्टर ऑफ डिमांड दिया गया। अनुरोध किया गया कि वेज रिवीजन का समझौता करने में विलंब किया गया, तो एनएस कर्मचारियों को और नुकसान होगा।
आर रवि प्रसाद टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष थे, तो संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू चौधरी विरोधी खेमा के अगुवा बने हुए थे। वे रोज वेज रिवीजन के मसले पर आर रवि को घेरते रहते थे. बैठकें करते थे, सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी करते थे। नतीजतन, अगले चुनाव में कर्मचारियों और कमेटी मैम्बरों ने टुन्नू चौधरी को शानदार जीत दिलाई। दोबारा भी टुन्नू चौधरी निर्विरोध जीत गए। सबको यकीन था कि संजीव चौधरी इस बार पी एन सिंह से बेहतर नहीं तो उसी तरह का वेज रिवीजन जरूर कराएंगे। अब वेज रिवीजन के मसले पर टुन्नू चौधरी की खामोशी से कर्मचारी से लेकर कमेटी मैम्बर हतप्रभ है। विशेष कर एनएस ग्रेड के कर्मचारियों में खदबदाहट बढ़ रही है।
ये भी पढ़ें : Tata Steel : एग्रिको क्लब हाउस में टेंट का सामान अंदर या बाहर करने का नजराना दो हजार रूपये
पीएन के समय 33 और आर रवि के कार्यकाल में 21 माह का वेज रिवीजन में हुआ था विलंब
एनएस ग्रेड के कमेटी मैम्बरों ने यूनियन नेतृत्व को दिये गए चार्टर ऑफ डिमांड में याद दिलाया कि वेज रिवीजन की वार्ता शुरू करने में बहुत विलंब किया जा चुका है। उल्लेख किया कि पीएन सिंह के कार्यकाल में वेज रिवीजन में 33 महीने की देरी हुई थी। आर रवि के समय 21 माह का विलंब किया गया था। वेज रिवीजन में विलंब होगा, तो कुल मिला कर ग्रेड वार डेढ़ से तीन फीसद का नुकसान होगा।
ये भी पढ़ें : Tata Steel Exlusive : टाटा वर्कर्स यूनियन में भीतर ही भीतर शैलेश सिंह के उत्तराधिकारी की तलाश
पीएन सिंह के वेज समझौता के बाद एनएस ने किया था बवाल, अब उनके ही मुरीद
पीएन सिंह टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने टाटा स्टील प्रबंधन के साथ ऐसा वेज रिवीजन समझौता किया, जिसे आज भी याद किया जाता है। वक्त देखिये कि पीएन सिंह के उसी वेज समझौता के बाद एनएस ग्रेड के सैकड़ों कर्मचारियों ने टाटा वर्कर्स यूनियन के कार्यालय में आकर बवाल किया था। मांग यही थी कि उन्हें भी स्टील ग्रेड के कर्मचारियों की तरह परसेंटेज में डीए मिलना चाहिए था। तब एनएस ग्रेड को एमजीबी में उतनी ही राशि मिली थी, जितनी स्टील ग्रेड को। उन्हें टिस्को पेंशन स्कीम के दायरे में भी लाया गया था। तब एनएस ग्रेड के कर्मचारियों को बहुत मिला था, कुछ बाकी रह गया था।
पीएन सिंह के बाद आर रवि प्रसाद के नेतृत्व में ग्रेड समझौता हुआ तो एनएस कर्मचारियों ने बहुत उम्मीद नहीं पाली थी, ना उल्लेखनीय कुछ हुआ। पीएन सिंह के ग्रेड समझौता के वक्त टुन्नू उनके डिप्टी थे। हर ग्रेड वार्ता में जाते भी थे। यहां तक कि पीएन सिंह के सेवानिवृत होने के बाद टाटा स्टील प्रबंधन ने उन्हें अध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया था, तो टाटा स्टील प्रबंधन के बुलावे पर पीएन सिंह की जगह टुन्नू चौधरी जाने लगे थे। यह ऐसा कदम था, जिसने पीएन सिंह को कमजोर कर दिया था। खैर, टाटा स्टील के कर्मचारी यह जरूर मानते हैं कि टुन्नू को वेज का ज्ञान है। इसलिए चाहेंगे तो अच्छा वेज जरूर करा पाएंगे।
::: एनएस के चार्टर ऑफ डिमांड में यह सब :::
1. टाटा स्टील में दो बार क्रमश: एक बार छह साल और एक बार सात साल का वेज रिवीजन हुआ है। यह चार से पांच साल के लिए होना चाहिए। इसलिए क्योंकि जहां जहां डीए का वैल्यू तीन रूपये प्रति प्वाइंट है, वहां सारी जगह तीन से चार साल से ही है.
2. मीनिमम ग्रांटेड बेनीफिट जो है ब्लॉक वन से फोर 15 से 25 हजार होना चाहिए.
3. सभी एनएस कर्मचारियों का फिक्स डीए पांच हजार होना चाहिए.
4. वीडीए छह रूपये प्रति प्वाइंट होना चाहिए, जो वर्तमान में तीन रूपये है.
5. एनुअल इंक्रीमेंट नया बेसिक बनने के बाद तीन प्रतिशत होना चाहिए.
6. एनएस ग्रेड के पार्किंग पोजिशन जैसे एनएस 3, 6 व 9 इन सभी को चार वर्ष में प्रमोशन बेनीफिट मिलता रहे.
7. कर्मचारियों के बच्चों को एजुकेशनल एलाउंस 5 हजार प्रति बच्चा मिलना चाहिए, क्योंकि स्कूल फीस व अन्य ट्रांसपोर्ट खर्च भी ज्याजा है.
8. गैस सिलेंडर, इलेक्ट्रिसिटी और वाटर चार्ज की बढ़ोत्तरी को देखते हुए यूटीलिटी एलाउंस तीन हजार रुपये मिलना चाहिए.
9. टीपीआर (टीम परफार्मेंस रिर्वाड) मासिक होना चाहिए और इसकी राशि ब्लॉक वन में 5 हजार से ब्लॉक 4 में दस हजार होना चाहिए.
10. पर्सनल लोन की बढ़ोत्तरी तीन हजार होना चाहिए. मोबाइल व इंटरनेट एलाउंस 15 सौ, नाइट शिफ्ट एलाउंस 7 सौ और एक्टिंग एलाउंस 250 से 350 तक होना चाहिए.
11. कई ऐसे वर्क और नन वर्क डिपार्ट हैं, जहां ब्लॉक थ्री का पोजिशन नहीं है वहां क्रिएट होना चाहिए.
12. टाटा मेन हॉस्पिटल में कुछ ऐसे डिप्लोमाधारी है जिनकी नियुक्ति ब्लॉक टू के एनएस-6 में हुई और यह एनएस 6 में ही रिटायर कर जाएंगे. इनलोगों के लिए ब्लॉक थ्री का रास्ता खोला जाए.
ये भी पढ़ें : TATA STEEL : अब एलडी-टू में रात को सोते हुए पकड़े गए कर्मचारी, कारखाने में मची खलबली