महुआडांड़ से शहजाद आलम
बहुत दिनों के बाद माओवादियों के द्वारा इस क्षेत्र में इस तरह का घटना को अंजाम दिया गया है। नेतरहाट थाना क्षेत्र के दुरूप पंचायत के दौना ग्राम में हथियारबंद माओवादी दस्ता के द्वारा गांव के तीन व्यक्ति को पकड़कर बुरी तरह से पीटा गया. जहां एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो व्यक्ति बुरी तरह से घायल हैं. अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मृतक को गोली मारी गई है, या लाठी डंडा से पीटने के दौरान उसकी मौत हुई है.
नेतरहाट थाना क्षेत्र के दौना ग्राम के रहने वाले देवकुमार प्रजापति व अन्य दो व्यक्तियों को माओवादियों के द्वारा अगवा कर लिया गया था। जिसके उपरांत माओवादियों के द्वारा तीनों व्यक्ति को लाठी-डंडे से जमकर मारपीट की गई। जानकारी के अनुसार देव कुमार प्रजापति की मौत हो गयी. वहीँ, जो व्यक्ति अगवा किए गए थे. वह गंभीर रूप से घायल है, जिसकी हालत काफी गंभीर बनी हुई है. घटना को अंजाम देने के बाद माओवादियों का दस्ता वहां से फरार हो गया. घटना को लेकर गांव व क्षेत्र के लोग काफी दहशत में है. कोई भी व्यक्ति कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
घटनास्थल की ओर पुलिस हो चूकी है रवाना
इस घटना की जानकारी प्राप्त होने के उपरांत पुलिस प्रशासन घटना स्थल की ओर दल बल के साथ रवाना हो चूकी है। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद ही घटना को लेकर विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है. फिलहाल घटना की लेकर कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
दो दिन पूर्व भी गांव में आए थे नक्सली
जानकारी के अनुसार 2 दिन पूर्व भी हथियार बंद नक्सलियों का दस्ता गांव में आया हुआ था, जो लगभग 8 से 10 के करीब थे ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है और कुछ लोगों के बारे में पूछताछ कर रहे थे. उन लोगों को ढुंढ़ने का प्रयास भी किया जा रहा था, लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएऔर नक्सलियों का दस्ता गांव से लौट गया था.
ज्ञात हो कि बहुत दिनों से माओवादियों के द्वारा इस तरह की घटना को अंजाम नहीं दिया दिया गया था. ऐसा लगता है अपना वर्चस्व कायम रखने को लेकर इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया है. दौना ग्राम नेतरहाट थाना व महुआडांड़ थाना से काफी दूर और जंगल के करीब है, जिसके कारण नक्सली आराम से वहां अपना पनाह ले सकते हैं.
वैसे भी यह क्षेत्र अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. दौना ग्राम जबकि नेतरहाट थाना क्षेत्र में पड़ता है और वहां से पुलिस प्रशासन को आने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. खासकर बरसात के दिनों में जंगल के रास्ते प्रशासन को आना काफी मशक्कत भरी हो सकती है. अगर प्रशासन को इस क्षेत्र में जाना है तो पहले महुआडांड़ आना होगा उसके बाद प्रशासन उस क्षेत्र में जा सकती है. इसीलिए नक्सलियों के लिए एक अच्छा स्थान माना जाता है. नक्सलियों के द्वारा वहां तांडव मचा कर आराम से निकला जा सकता है. इसीलिए नक्सलियों के द्वारा ऐसे ही क्षेत्रों का चयन किया जाता रहा है.