जमशेदपुर।
हत्या और बलात्कार जैसे संगीन आरोपों के तहत जेल में सजा काट रहे डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर 30 दिन की पैरोल मिलने पर ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के पूर्वी भारत के अध्यक्ष सतनाम सिंह गंभीर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सरकारों की इस दोहरी नीति से सिखों में अविश्वास का माहौल पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर हत्या और बलात्कार जैसे अपराधों के आरोपी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दी जा सकती है, तो बंदी सिंहों की रिहाई के लिए सिख समुदाय द्वारा उठाई जा रही आवाज को सरकार क्यों नहीं सुन रही है. सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि देश में एक कानून है लेकिन मौजूदा सरकार इसका इस्तेमाल अपने हिसाब से कर रही है. बंदी सिंह कानून के मुताबिक सजा काटने के बाद भी अभी जेल में हैं.
सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि सरकारें अपने राजनीतिक हितों के लिए गुरमीत राम रहीम के जघन्य अपराधों पर आंखें मूंद रही हैं और उसे बार-बार जाने दे रही हैं. सरकारों की ऐसी नीति सिखों को अलग-थलग महसूस कराने वाली है, जो देश के लिए अच्छा नहीं है. मानगो गुरुद्वारा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह इंदर ने कहा कि गुरमीत राम रहीम की पैरोल तुरंत रद्द की जानी चाहिए और उन्हें जेल में बंद किया जाना चाहिए.