फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर अमल संघ क्लब द्वारा आयोजित दो दिवसीय श्रुति नाटक उत्सव के दूसरे दिन विभिन्न नाटकों की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में योग पुरुष सह वर्ल्ड फिटनेस फेडरेशन ऑफ योग्यासना के प्रेसिडेंट अंशु सरकार उपस्थित थे. उनके साथ अमल संघ के अध्यक्ष सामंत कुमार और महासचिव संदीप सिन्हा चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. क्लब द्वारा अतिथियों को शाल, पुष्प स्तबक एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम का संचालन इति बनर्जी ने किया, जिन्होंने सभी श्रोताओं का स्वागत भी किया. इस अवसर पर कुल पांच नाटकों का मंचन हुआ, जिनमें विभिन्न संस्थाओं ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. प्रस्तुत किए गए नाटक निम्नलिखित थे.
“घाटेर कोथा” – जमशेदपुर कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन द्वारा प्रस्तुत, निर्देशक शिव प्रसाद बनर्जी. यह नाटक समाज के निचले तबके के संघर्ष और उनके जीवन की कठिनाइयों को दर्शाता है.
“भीम गीता” – परसुडीह प्रमथ नगर की सौरव संस्था द्वारा, निर्देशक सुजीत मुखर्जी. इसमें महाभारत के पात्र भीम की गाथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया.
“दांपत्य” – बंगाल क्लब द्वारा प्रस्तुत, निर्देशक रश्मि चौधरी. यह नाटक एक विवाहित दंपति के जीवन की जटिलताओं और उनकी आपसी समझ को दर्शाता है.
“जगतजननी मां शारदा” – टेल्को सबूज कल्याण संघ द्वारा, निर्देशिका प्रदीप घोषाल. इस नाटक में मां शारदा देवी के जीवन और उनके आध्यात्मिक संदेशों को प्रस्तुत किया गया.
अंतिम प्रस्तुति भालोबासार सात कहोंन- ताज संस्था द्वारा, निर्देशक तुषार दासगुप्ता.
कार्यक्रम के दौरान दर्शकों ने नाटकों का भरपूर आनंद लिया. हर प्रस्तुति ने एक विशेष संदेश दिया और समाज की विभिन्न परतों को उजागर किया. आयोजकों ने यह सुनिश्चित किया कि नाटकों की गुणवत्ता उच्चतम स्तर की हो और वे दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ें.
कार्यक्रम के समापन पर सभी निर्देशकों और कलाकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया. इस आयोजन को सफल बनाने में क्लब के अध्यक्ष सामंत कुमार, महासचिव संदीप सिन्हा चौधरी, श्यामल शील, विश्वनाथ गुप्ता, सुष्मिता गांगुली, सांप दासगुप्ता, हेमंत, इति सेनगुप्ता, तरुण विश्वास, मनोरंजन सरकार, विशु शुर, बादल पात्र, शुभम सरकार, आलोक दत्त सहित अन्य सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
यह आयोजन श्रुति नाटक की समृद्ध परंपरा को बढ़ावा देने और नाट्य प्रेमियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ. आयोजकों ने भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिससे स्थानीय प्रतिभाओं को मंच मिल सके और श्रुति नाटक विधा को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके.