- भूमिज समाज के स्वशासन सशक्तिकरण और भाषा संरक्षण को लेकर उठे स्वर
फतेह लाइव, रिपोर्टर
पोटका के कैरासाई पल्ली मंगल उच्च विद्यालय परिसर में पारंपरिक स्वशासन गांवता एवं आदिवासी भूमिज समाज की ओर से एक दिवसीय बैठक आयोजित हुई. इसमें पूर्वी सिंहभूम के पोटका, जमशेदपुर, डुमरिया प्रखंड और उड़ीसा मयूरभंज जिला के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक का मुख्य उद्देश्य आदिवासी भूमिज समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को पुनर्जीवित करना तथा उसके नेतृत्वकर्ताओं के कार्यक्षेत्र, कार्य एवं जवाबदेही को स्पष्ट करना था.
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आदिवासी समाज की स्वशासन व्यवस्था में नया सशक्तिकरण प्रयास
बैठक में पेशा कानून 1996 और सरकार द्वारा प्रस्तावित नियमावली 2024 पर विशेष चर्चा हुई. इसमें ग्राम सभा के अध्यक्ष आदिवासी भूमि समुदाय के दिगर, सरदार, ग्राम प्रधान (हातु सरदार), नाया आदि को नियमावली में जोड़ने की मांग की गई. आदिवासी भूमिज समाज के पारंपरिक पद जैसे दिगर, सरदार, नायेक, पायक, हातु सरदार, तावेदार, घाटवाल, नाया, पीड़ नाया, देवरी, कुड़ाम नाया, डाकुया, पानि गिराई, दाड़िया, शासन जागबाड़ी आदि का उल्लेख किया गया. यह व्यवस्था गांव, पड़ोसी, गादी, मुकाम एवं ढिशुम स्तर पर संचालित होती है.
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पारंपरिक पदों को लेकर आदिवासी समाज की मांगें मजबूत
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि झारखंड सरकार को भूमिज भाषा को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल करने हेतु पुनः री मेमोरेंडम दिया जाएगा. आदिवासी भूमिज भाषा के साथ हो रहे भेदभाव से समाज में रोष है. इस बैठक में दिगर अध्यक्ष जयपाल सिंह सरदार, मोहन सरदार, स्वपन सरदार, बुद्धेश्वर सरदार, जुगल सरदार, शेफाली सरदार, शिवचरण सरदार, सिरतन सरदार, श्यामल सरदार, लिबाई सरदार, राजेश सरदार, अजीत सरदार, सुपेंद्र सरदार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.