पहली दिसंबर से लटक जाएगा ताला, इलाज के लिए जाना होगा कदमा
ओपीडी में समय लेकर भी टीएमएच नहीं गए तो लग जाएगा झटके पर झटका
डॉक्टर का समय लेकर भी अनदेखी की तो कर्मचारी का एमआर नंबर ब्लॉक
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
टाटा स्टील की मेडिकल सर्विसेज की व्यवस्था में निकट भविष्य में बड़ा बदलाव दिखेगा. कदमा के ईसीसी फ्लैट की डिस्पेंसरी में पहली दिसंबर से ताला लटक जाएगा. वहां रहने वाले कर्मचारी, सेवानिवृत कर्मचारी या उनके परिजन को इलाज कराना है तो अब कदमा डिस्पेंसरी की राह पकड़नी होगी. यह फैसला लेने की वजह यह बताई गई है कि ईसीसी फ्लैट डिस्पेंसरी में रोजाना तीन दर्जन मरीज भी नियमित तौर पर नहीं आते. इतने कम मरीज आने के कारण व्यवस्था का बनाए रखना संभव नहीं है.
टाटा स्टील की हॉस्पिटल एडवाइजरी कमेटी की बुधवार को टीएनएच के सभागार में बैठक हुई. इसमें मेडिकल व्यवस्था से जुड़े कई मसलों पर लंबी मंत्रणा के बाद कई अहम फ़ैसले लिए गए. बैठक में टाटा स्टील के कॉरपोरेट सर्विसेज उपाध्यक्ष डी बी सुंदरम, एचआरएम की प्रमुख अतराई सान्याल, टीएमएच जीएम विनीता सिंह, टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री सतीश सिंह समेत प्रबंधन और यूनियन के कई प्रमुख लोग थे. जो बातें उठी, उस पर जरूरत के मुताबिक चिंतन मंथन भी हुआ. कड़ा फैसला यह लिया गया कि टाटा स्टील के जो कर्मचारी टीएमएच की ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के स्लॉट बुक करने के बाद भी नहीं आते हैं, उनका एमआर नंबर ब्लॉक किया जाएगा.
वजह बताई गई कि ओपीडी में हरेक डॉक्टर के लिए मरीज को देखने की संख्या तय है. कर्मचारी, रिटायर्ड कर्मचारी या उनके परिजन स्लॉट लेने के बाद भी नहीं आते है तो इससे ओपीडी की पूरी व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव बनता है. रोजाना कितने मरीजों को देखा जाना है, इसकी संख्या तय है. स्लॉट बुक हो गया तो उस वक्त दूसरे मरीज को डॉक्टर देख नहीं पाते और उनका समय जाया होता है. अगर किसी कारणवश स्लॉट बुक करने के बाद टीएमएच के ओपीडी में आने में असमर्थ हैं तो स्लॉट को केंसिल करना अनिवार्य है. इसका सख्ती से अनुपालन करना होगा. कैंसिल नहीं किए तो इलाज कराए बगैर भी डॉक्टर को दिखाने का शुल्क देना होगा.
टाटा स्टील के ठेका कर्मचारियों को टीएमएच की जगह जाना होगा सोनारी
टाटा स्टील के वेंडर पार्टनर के मातहत कार्यरत कर्मचारियों को अब मेडिकल से जुड़े कार्यों के लिए टीएमएच की जगह सोनारी के टीएमएच हेल्थ केयर सेंटर जाना होगा. यह व्यवस्था है कि सभी ठेका कर्मचारियों को मेडिकल फिट होने का प्रमाणपत्र टीएमएच जाकर लेना पड़ता है. अगर तबियत नासाज हो गई तो मेडिकली फिट होने का कागज लेना होता है. इसके लिए भी उन्हें टीएमएच आना होता है. अब यह काम सोनारी में होगा। मकसद है कि टीएमएच में भीड़ कम हो. ठेका कर्मचारियों का भी काम तेज गति से हो सकेगा.
ट्रामा के तहत जो मरीज आयेंगे उसे सभी विभागों के डाक्टर तत्काल देखेंगे
हॉस्पिटल एडवाइजरी कमेटी की बैठक में शीर्ष लोगों के अलावा टीएमएच के सभी विभागों के प्रमुख चिकित्सकों के अलावा टाटा वर्कर्स यूनियन के अमरनाथ ठाकुर, सरोज कुमार सिंह, रविशंकर पांडेय, राकेश कुमार सिंह, मनोज मिश्रा, पी लाल, संजय कुमार सिंह, गुरशरण सिंह की मौजूदगी में और भी निर्णय हुए. तय हुआ कि ट्रामा के तहत कोई मरीज आता है तो जरूरत के मुताबिक सभी विभागों के डाक्टर देखेंगें। ट्रामा का जो प्रोटोकॉल है, उसका पूरा पालन किया जाएगा. इमरजेंसी में मरीज के साथ परिजन की भीड़ कम करने के उपायों पर भी रणनीति बनाई गई.
कर्मचारियों को इमरजेंसी से छुट्टी पर आधा घंटा में वन एमजी से मिलेगी दवा
टाटा स्टील के कर्मचारी या उनके परिजन अचानक इलाज के लिए टीएमएच की इमरजेंसी में आते है तो छुट्टी होने पर तत्काल दवा नहीं मिल पाती. यह व्यवस्था बनाई जा रही है कि इमरजेंसी से डिस्चार्ज होने के आधा घंटा के भीतर वन एमजी से दवा मिल जाय. यह भी इंतजाम करने की बात हुई कि शाम में ओपीडी में डाक्टर को दिखाने पर कर्मचारी या उनके परिजन को जल्द दवा उपलब्ध हो जाय. टीएमएच में मरीज के अटेंडर की व्यवस्था पर भी गौर किया गया. उन्हें और अनुशासित बनाने की दिशा में कार्य करने पर सहमति बनी.
टीएमएच से मरीज के डिस्चार्ज में देरी की समस्या पर एआई बनेगा मददगार
किसी से पूछिए तो कहेगा कि टीएमएच से डिस्चार्ज होने के बाद अस्पताल से बाहर निकलने में सुबह से दोपहर हो जाती है. दोपहर में तनिक ढिलाई हो गई तो फिर शाम तक की छुट्टी. हॉस्पिटल एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस मसले के समाधान पर खूब चर्चा हुई. यह बात आई कि डॉक्टर वार्ड में ढेर सारे मरीजों को देखते हैं. उसी दौरान मरीजों के डिस्चार्ज का फैसला होते जाता है. सारे मरीजों को देखने के बाद डॉक्टर डिस्चार्ज के कागजात तैयार करने की प्रक्रिया में लगते है. इसमें समय लगना है. लगता है, बैठक में खूब दिमाग लगाने के बाद तय हुआ कि उसके समाधान के लिए एआई के दिमाग की मदद ली जाएगी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डिस्चार्ज पेपर वर्क के काम को जल्द पूरा करने की कोशिश की जाएगी. सबको यह जानकारी भी दी गई कि गैस्ट्रोलॉजी विभाग में एक और डॉक्टर प्रवीण कुमार ने योगदान दिया है. इससे गैस संकट से जूझ रहे लोगों के इलाज में और सुविधा होगी.


