फतेह लाइव, रिपोर्टर.


जमशेदपुर के जुगसलाई और सरायकेला-खरसावां के कपाली थानेदारों की हरकत से झारखंड पुलिस की छवि राष्ट्रीय स्तर पर खराब हुई थी. एक तरफ डीजीपी अनुराग गुप्ता पुलिस को जनता से व्यवहारकुशलता का पाठ पढ़ा रहें हैं तो दूसरी ओर जुगसलाई थाना में ऐसे भी पुलिसकर्मी हैं जो आम आदमी को तो छोड़िए सैनिकों को भी नहीं बख्शते हैं.

दो जिला में दो थानेदारों ने मिलकर एक ऐसी लापरवाही और दबंगई की कि इस घटना ने झारखंड में रक्षा राज्य मंत्री से लेकर सेना के ब्रिगेडियर तक को संज्ञान लेना पड़ा. मामला 14 मार्च का है जब एक फौजी और उसके भाई को हत्या का प्रयास, हथियार छिनने और मारपीट जैसी गंभीर धाराओं में जुगसलाई पुलिस ने जेल भेल दिया था. इस मामले के तूल पकड़ने के बाद डीजीपी अनुराग गुप्ता ने आईजी अखिलेश झा और कोल्हान डीआईजी मनोज रतन चौथे को निष्पक्ष जांच का आदेश जारी कर सार्वजनिक रूप से बयान भी दिया है.
उन्होंने इस मामले पर कहा था कि देश का फौजी जेल जाये तो यह दुःख का विषय है और यह नहीं होना चाहिए, यदि कोई फौजी कानून तोड़ता है तो अच्छा होगा कि उसे नजदीक के Army Unit को सौंप दिया जाय, ताकि Army के अधिकारी उस पर अपने बने नियमों के अनुसार कार्रवाई कर सकें.
यहां याद दिला दें कि बीते 14 मार्च की देर शाम पुलिस अधिकारी के साथ विवाद होने पर बागबेड़ा निवासी अखनूर में पोस्टेड भारतीय सेना के जवान सूरज राय व उसके चचेरे भाई विजय राय को जुगसलाई थाना की पुलिस ने गिरफ्तार किया था.15 मार्च को पुलिस ने दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. इस मामले में पूर्व सैनिक संघ और सिविल सोसायटी समेत अन्य कई स्थानीय लोगों द्वारा विरोध जताते हुये जुगसलाई थाना व उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया जिसके बाद इस मामले में सेना के अधिकारियों के साथ ही केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री ने भी संज्ञान लिया था. हालांकि दूसरे ही दिन न्यायालय द्वारा सभी आरोपियों को जमानत दे दी गई थी.
*न सिर्फ घटना स्थल बदला बल्कि झूठी कहानी भी रची*
फ़ौजी की जोरदार पिटाई करने के साथ ही शिकायत दर्ज कराने और करने वाले पुलिस पदाधिकारियों ने न सिर्फ झूठी कहानी बनाई बल्कि घटनास्थल भी बदलते हुए मानवाधिकारों का उल्लंघन तक किया. फौजी के समर्थन में लौहनगरी की पूर्व सैनिक परिषद, लोकल आर्मी युनिट, सिविल सोसायटी और आम जनता भी खड़ी हो गई. माहौल गरमाने पर राज्य के डीजीपी को ही हस्तक्षेप करना पड़ा और आईजी-डीआईजी को खुद घटना स्थल पर जाकर पड़ताल करने का निर्देश दिया गया.
इतना ही नहीं स्थानीय न्यायालय ने भी वकीलों की बहस के बाद आरोपियों को जमानत दे दी. हालांकि जांच में पुलिसकर्मियों की लापरवाही खुलकर सामने आई. ऐसी चर्चा थी कि इस मामले में कपाली थानेदार सोनू कुमार और जुगसलाई थानेदार सचिन दास समेत लापरवाही बरतने वाले अन्य पुलिसकर्मियों का निलंबन लगभग तय है. कारण कि दोनों ही पुलिसकर्मियों की कार्यशैली से झारखंड पुलिस की राष्ट्रीय स्तर पर काफी किरकिरी हुई है. सस्पेंड होने वालों में एसआई तपेश्वर बैठा,एसआई शैलेंद्र नायक, एसआई मंटु कुमार, एसआई दीपक महतो, एसआई कुमार सुमित, सिपाही शैलेश कुमार और शंकर कुमार शामिल हैं.
इस निलंबन से घटना के जनक कपाली थानेदार सोनू कुमार और उसके निजी ड्राइवर छोटू कैसे बच गए. अब यह चर्चा का विषय बन चुका है. हालांकि सचिन दास पहले भी चतरा में रहते हुए विवादित रहें हैं और विवादों से उनका अक्सर नाता रहा है, लेकिन इस बार विवाद राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आने के बाद डीजीपी स्तर से कार्रवाई हुई और जुगसलाई थानेदार समेत 8 पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए.