• आदिवासी समाज की पारंपरिक परंपराओं का जश्न

फतेह लाइव, रिपोर्टर

आज सरजामदा निदिरटोला में बाहा बोंगा के तीसरे दिन बाहा सेंदरा का आयोजन किया गया. इस आयोजन के तहत सर्वप्रथम गाँव के नायके बाबा पलटन हेम्ब्रम ने अपने आंगन में सभी पुरुषों को इकट्ठा कर शिकार के औजारों (तीर धनुष, भाला, तलवार आदि) का पूजा की. उन्होंने मारांग बुरु और जाहेर आयो से शिकार के सुरक्षित होने की प्रार्थना की और औजारों पर सिंदूर लगाकर उन्हें शुद्ध किया. इसके बाद सभी गांववासियों को शिकार पर भेजा गया. आदिवासी संताल समाज में सेंदरा की परंपरा का यह आयोजन न केवल पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को इस परंपरा के महत्व को समझाने के लिए भी किया जाता है. शिकार संपन्न होने के बाद गाँव में सभी लोग इकट्ठा होकर उसका प्रसाद बनाकर सेवन करते हैं.

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सेंदरा के आयोजन में गाँव के प्रमुख लोग और बच्चे-बूढ़े शामिल हुए

बाहा के तीसरे दिन सादे पानी से होली भी खेली गई, जो आदिवासी समाज की एक अनोखी परंपरा है. यहाँ रंगों की होली पूरी तरह से वर्जित है, और इसके बजाय गाँव के लोग एक दूसरे के साथ सादे पानी की होली खेलते हैं. यदि कोई रंगों की होली खेलता है और पकड़ा जाता है, तो उसे दंडित किया जाता है, और कभी-कभी उसे महिला या पुरुष से जबरन विवाह करवाया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आदिवासी समाज के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक रिवाज है.

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