- मजदूरों की 17 सूत्री मांगों को लेकर श्रमिक संगठन ने जताया विरोध, सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
- हड़ताल के साथ-साथ अन्य विरोध प्रदर्शन भी होंगे आयोजित, सरकार को चेतावनी
फतेह लाइव, रिपोर्टर
बोकारो जिले के विभिन्न सीसीएल कार्यालयों के समक्ष 20 मई को संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा द्वारा प्रदर्शन किया गया. यह प्रदर्शन आगामी 9 जुलाई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल की तैयारी के तहत किया गया था. हड़ताल के लिए विभिन्न ट्रेड यूनियन नेताओं ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए और श्रमिकों की 17 सूत्री मांगों को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए. इसमें प्रमुख रूप से काम के घंटों में मनमानी वृद्धि, न्यूनतम मजदूरी का उल्लंघन और ठेका श्रमिकों की अवैध छंटनी के मामले थे. यूनियन नेताओं ने कहा कि इन मुद्दों को लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं और न ही किसी प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की है.
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संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा के नेताओं ने दावा किया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के संरक्षण में नियोक्ता वर्ग मजदूरों पर हमले जारी रखे हुए हैं. हड़ताल के दौरान यूनियन नेताओं ने 9 जुलाई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल की योजना पर चर्चा की और कहा कि यह हड़ताल सरकार द्वारा मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एक मजबूत आवाज बनेगी. प्रदर्शन के दौरान महारूद्र सिंह, विकास सिंह, भीम महतो, जयनाथ मेहता समेत कई अन्य ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि यह हड़ताल श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी है.
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प्रदर्शन में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने भाग लिया, जिनमें इंटक के श्यामल कुमार सरकार, एटक के गणेश प्रसाद महतो, सीटू के विजय भोई, सीएमयू के आलोक रंजन, और कई अन्य शामिल थे. इन नेताओं ने बताया कि श्रमिकों की समस्याओं को लेकर सरकार की नीतियां न केवल निष्क्रिय हैं, बल्कि वह मजदूरों के अधिकारों का उल्लंघन भी कर रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि श्रम संहिताओं को चुपचाप लागू करने के लिए यह सब एक साजिश के तहत किया जा रहा है. यूनियन नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने श्रमिकों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह हड़ताल और भी बड़े पैमाने पर आयोजित की जाएगी.
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प्रदर्शन में शामिल ट्रेड यूनियनों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी यह हड़ताल सिर्फ श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि देशभर में जारी मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए भी है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार ने इस मामले में जल्दी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो हड़ताल से पहले एक और बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. प्रदर्शन के दौरान इंटक के सुबोध सिंह पवार, रोशन सिंह, प्रताप सिंह, और अन्य ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि यह हड़ताल सरकार को यह संदेश देने के लिए है कि श्रमिक अपने अधिकारों के लिए खड़े हैं और उनका शोषण नहीं होने देंगे.