- भाकपा माओवादी की सदस्य सुनीता मुर्मू ने किया आत्मसमर्पण
फतेह लाइव, रिपोर्टर
झारखंड राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन की ओर से नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में एक और सफलता हासिल हुई है. भाकपा माओवादी संगठन की सदस्य सुनीता मुर्मू उर्फ लीलमुनी मुर्मू ने बोकारो पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया. सुनीता मुर्मू का आत्मसमर्पण राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत हुआ, जो नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई है. पुलिस के बढ़ते दबाव और सरेंडर पॉलिसी से प्रभावित होकर सुनीता ने यह कदम उठाया है.
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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को मिलेंगे सरेंडर पॉलिसी के लाभ
21 अप्रैल को लूगु पहाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन डाकाबेड़ा चलाया था, जिसके दौरान नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में एक करोड़ के नक्सली इनामी विवेक दा सहित आठ नक्सली मारे गए थे. हालांकि, 8 से 10 नक्सली भागने में सफल हो गए थे. इसके बाद डीजीपी अनुराग गुप्ता ने नक्सलियों को चेतावनी दी थी कि वे राज्य की सरेंडर पॉलिसी का पालन करते हुए शांति की ओर लौट आएं, वरना उन्हें भी मुठभेड़ का सामना करना पड़ेगा.
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झारखंड सरकार के सरेंडर पॉलिसी से नक्सलियों को मिलेगा मुख्यधारा में लौटने का मौका
सुनीता मुर्मू ने स्वीकार किया कि वह गलत रास्ते पर चली गई थी और नक्सलियों से भी आत्मसमर्पण करने की अपील की. उसने यह भी बताया कि वह तीन साल तक गिरिडीह जेल में रह चुकी है और कई थानों में उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है. झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत सुनीता मुर्मू को पैसे, घर, जमीन, रोजगार, और अन्य लाभ दिए जाएंगे, ताकि वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके और समाज में पुनः अपनी जगह बना सके.