- झारखंड सरकार का चुनावी वादाखिलाफी, आदिवासी समुदाय में व्यापक आक्रोश
फतेह लाइव, रिपोर्टर
झारखंड सरकार द्वारा टीएसी की हालिया बैठक में ईचा डैम परियोजना को पुनः शुरू करने का निर्णय कोल्हान क्षेत्र के लाखों विस्थापित आदिवासियों के लिए एक बड़ा झटका है. वर्ष 2019 और 2024 के चुनावी घोषणापत्र में सरकार ने इस परियोजना को रद्द करने का वादा किया था, जिसके भरोसे लोगों ने इसे भारी समर्थन दिया था. अब वही सरकार डैम की ऊँचाई कम करने की बात कहकर जनभावनाओं को नजरअंदाज कर रही है. जयकिशन बिरुली ने इसे आदिवासी समाज की संस्कृति, आस्था और अस्तित्व पर सीधे हमला बताते हुए कहा कि इससे 18 से अधिक गांव, धार्मिक स्थल और पितृ स्थल नष्ट हो जाएंगे. यह केवल भूमि का नुकसान नहीं, बल्कि आदिवासी पहचान और इतिहास का विनाश होगा.
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आदिवासी अधिकारों की लड़ाई तेज, सरकार पर दबाव बढ़ा
डैम परियोजना से प्रभावित लाखों आदिवासी और मूलवासी अपनी जमीन, संस्कृति और जीवन शैली खो देंगे. बिरुली ने कहा कि यह सरकार पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के दबाव में आदिवासियों की जमीन और संस्कृति को कुचल रही है. उन्होंने सभी आदिवासी और मूलवासी समुदायों से एकजुट होकर सड़क और सदन दोनों जगह इस निर्णय का पुरजोर विरोध करने का आह्वान किया. यदि सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही, तो जनता 2029 के चुनाव में इसका कड़ा जवाब देगी. इस संघर्ष में आदिवासी समाज की आवाज़ बनकर सभी को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा.



