- ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हुए गिरिडीह में विशेष पूजा अर्चना
फतेह लाइव, रिपोर्टर
गिरिडीह में गुड फ्राइडे के अवसर पर ईसाई समुदाय के लोगों ने गिरजाघरों में ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हुए विधि अनुसार और परंपरागत तरीके से प्रार्थना की. नगर गिरिडीह के सीएन आई चर्च पचंबा, बरगंडा जंगलपुर सहित जिले के विभिन्न चर्चों में धर्मावलंबियों ने एकत्रित होकर ईसा मसीह की याद में प्रार्थना की. इस अवसर पर विशेष ध्यान इस बात पर केंद्रित किया गया कि कैसे यीशु मसीह ने मानवता के उद्धार के लिए अपना बलिदान दिया. हर वर्ष गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाए जाने की घटना को याद करते हुए ईसाई समुदाय आराधना और प्रार्थना करता है. इस दिन का महत्व धार्मिक दृष्टि से बहुत विशेष होता है, क्योंकि यह वह दिन था जब ईसा मसीह ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.
ईसा मसीह की सात वाणियों पर चर्चा, रेव्ह सन्नी दास ने विस्तार से दिया व्याख्यान
सीएन आई चर्च पचंबा में गुड फ्राइडे की विशेष आराधना का संचालन रेव्ह सन्नी दास और पूर्व रेव्ह एफ टी हंसदा ने किया. इस दौरान रेव्ह सन्नी दास ने यीशु मसीह के क्रूस पर से कही गई सात अंतिम वाणियों का विस्तार से वर्णन किया. इन वाणियों को “कूस पर यीशु के सात अंतिम वचन” कहा जाता है, और इन्हें बाईबल के चार सुसमाचारों में से उद्धृत किया जाता है. रेव्ह सन्नी दास ने प्रत्येक वाणी का अर्थ समझाते हुए बताया कि यीशु मसीह के ये वचन मानवता के लिए भगवान के प्रेम, बलिदान, और मोक्ष का संदेश देते हैं. इसके बाद, रेव्ह सन्नी दास और सचिव जोय हेम्ब्रम द्वारा विशेष गीत प्रस्तुत किया गया. साथ ही, जोय हेम्ब्रम ने गुड फ्राइडे के महत्व को भी स्पष्ट किया, जिसमें बताया गया कि यीशु के सात अंतिम वचन हमें उनके चरित्र और प्रेम को समझने में मदद करते हैं.
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गुड फ्राइडे की आराधना में उपवास और श्रद्धा का विशेष महत्व
गुड फ्राइडे की इस आराधना में स्थानीय लोगों के अलावा देश-प्रदेश से आए धर्मावलंबियों ने भी भाग लिया और प्रार्थना की. आराधना के दौरान सभी श्रद्धालु ईसा मसीह के क्रूस पर किए गए बलिदान को महसूस करने का प्रयास करते हैं. इस दिन विशेष रूप से उपवास किया जाता है, और इस आराधना में विश्वासियों ने पिछले चालीस दिनों से चल रहे उपवास को पूरा किया. चर्च आराधना के बाद सभी ने शरबत पीकर अपना उपवास तोड़ा, जिससे यह दिन उनकी धार्मिक श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक बन गया. यह अवसर सिर्फ प्रार्थना का नहीं, बल्कि आत्मनिर्वासन और उपवास का भी था, जिसे ईसा मसीह की वेदना और बलिदान से जोड़ा गया. इस मौके पर चर्च में विलियम जेकब, जोय केशप, ओरबेन सहाय, पौलूस तिर्की, रंजना जैकब, प्रवीण सांगा, विनम्र, केपी मरांडी, संजय कुमार दीपू जैसे कई लोग मौजूद रहे.
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यीशु मसीह के “सात अंतिम वचन” – बलिदान और उद्धार का संदेश
गुड फ्राइडे की आराधना में विशेष रूप से यीशु मसीह के “सात अंतिम वचन” पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिनमें से प्रत्येक वचन मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण संदेश देता है. इनमें क्षमा, मोक्ष, संबंध, परित्याग, संकट, विजय और पुनर्मिलन जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं. पहली वाणी में यीशु ने अपने क्रूस पर टंगे हुए कहा, “हे पिता इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं”. दूसरी वाणी में यीशु ने एक अपराधी से कहा, “मैं तुझसे सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा”. इस प्रकार, इन सात वाणियों के माध्यम से यीशु मसीह ने अपने जीवन, बलिदान और उद्धार के संदेश को स्पष्ट किया, जो आज भी ईसाई समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है.