चक्रधरपुर रेलमंडल में टाटानगर पार्सल बनी प्रयोगशाला, दो साल में आधा दर्जन बार बदलाव, 36 और फिर 16 ताबदले भी चर्चा में
कंट्रोल आर्डर पर बार-बार हुए तबादले, रेगुलर करने के लिए नहीं जारी हुआ पर्सनल आदेश
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
चक्रधरपुर रेलमंडल में सीबीआई की धमक के बाद रेलवे का पार्सल कार्यालय एक बार फिर से चर्चा में है. वाणिज्य महकमा खासकर सुर्खियों में बन गया है. चहूँ ओर एक ही बात हो रही है. राउरकेला से उठी चिंगारी टाटानगर पहुंच चुकी है. यहां हाल में ही चीफ पार्सल सुपरवाइजर (CPS) के रूप में अमित कुमार चौधरी की ताजपाेशी की गयी है. तबादले का आदेश कंट्रोल आर्डर से सीनियर डीसीएम कार्यालय द्वारा जारी किया गया. इस आदेश के बाद ही रेलवे महकमे खासकर टाटानगर से चक्रधरपुर तक यह चर्चा शुरू हो गयी कि आखिर आठ माह में ही CS/TATA/PARCEL नौशाद अहमद को क्यों चलता फिरता कर दिया गया ?

इसके पूर्व वाणिज्य महकमे में दो अलॉर्ट में कर्मचारियों के ताबदले हुए. पहली बार लगभग 36 और दूसरी बार जुलाई माह में लगभग 16. इनमें टाटानगर में 20 सालों से रेंगने वाले चर्चित उमा भी वाणिज्य महकमे को हर बार की तरह हासिये पर बनाये हुए हैं. तबादला होने से पूर्व उमा यादव पार्सल से फिर अपने पुराने कार्यक्षेत्र टाटा बुकिंग में आ गए. उनकी पहुंच सीकेपी मुख्यालय की महिला अधिकारी तक है. जिसे लेकर उन्होंने टाटा पार्सल में एक कर्मचारी पाटिल से बगावत की थी. इसमें उसका साथ एक समाजसेवी ने दिया और उससे उसकी अच्छी छननी शुरू हो गई. खैर, उमा अपने मधुर संबंधों को लेकर रेल में अच्छी पकड़ बनाये हुए है. उसके करीबी मित्र से उसकी कुछ बिगड़ी चल रही है. उमा को टाटा से बहुत दूर झारसुगड़ा के पहले बागडीह तबादला कर दिया गया है. उन्होंने अभी वहां योगदान नहीं दिया है और सीक पर चले गए हैं. यह चर्चा वाणिज्य महकमे में जोर शोर से हो रही है. इससे पूर्व भी टाटा से सटे स्टेशन में उनका तबादला हुआ था, लेकिन वाणिज्य महकमे में खेल रचकर वह टाटा पार्सल आ गए थे.
बहरहाल, सीबीआई को वाणिज्य महकमे में तबादलों के खेल पर भी अपनी नजर फेरने की जरूरत है, जिससे बहुत बड़े मामले सामने आएंगे. उमा अपनी ड्यूटी के कार्यकाल में समय पर नहीं आने, रात ड्यूटी लेने आदि कारणों के लिए धाकड़ पंक्षी माने जाते थे, जो अब बागडीह उड़ा दिए गए हैं. उनके नए क्षेत्र में योगदान नहीं देने को लेकर यह चर्चा है कि क्या फिर सीनियर डीसीएम कोई तबादला करने वाले हैं, जिसमें वह फिर वापस लौट सकते हैं?
बहरहाल, टाटा पार्सल से नौशाद अहमद को हटाने के कंट्रोल आर्डर में ही CS/BIRP (बिरराजपुर) अमित कुमार चौधरी को टाटानगर पार्सल इंचार्ज के रूप में पदस्थापित करने का निर्देश आया. चक्रधरपुर रेल मंडल में सीनियर डीसीएम के रूप में आदित्य चौधरी की पदस्थापना के बाद से ही कंट्रोल आर्डर पर बड़ी संख्या में रेलकर्मियों जिसमें प्रभारी भी शामिल है को उन्हें इधर से उधर किया गया. यह क्रम आज भी जारी है. अमित कुमार चौधरी की पोस्टिंग भी आदित्य चौधरी ने ही की है. अचानक से अमित कुमार चौधरी को टाटा पार्सल का इंचार्ज बनाकर भेजे जाने पर यहां चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
टाटानगर में ही रेलकर्मियों के बीच यह चर्चा शुरू हो गयी है कि अमित कुमार चौधरी पर आखिर सीनियर डीसीएम आदित्य चौधरी की कृपा बरसने के क्या कारण रहे होंगे? कहा जा रहा है कि अमित कुमार चौधरी को इससे पहले टाटानगर पार्सल से ही अनियमितता और विजिलेंस रिपोर्ट पर हटाया गया था. ऐसे में अचानक सीनियर डीसीएम आदित्य चौधरी को अमित कुमार चौधरी में ऐसी क्या प्रतिभा दिखायी दी कि अचानक कंट्रोल आर्डर से नौशाद अहमद को हटाकर उन्हें टाटा पार्सल का प्रभारी बना दिया गया. रेलकर्मी इस बदलाव के अलग-अलग निहितार्थ भी निकाल रहे है.
यहां यह बताना लाजिमी है कि दो-तीन साल का कार्यकाल अलग रखा जाये तो अमित कुमार चौधरी दशकों से टाटानगर में ही पदस्थापित रहे हैं. पूर्व सीनियर डीसीएम भास्कर से नजदीकियों का लाभ उन्हें मिला और संवेदनशील पदों पर तबादले को लेकर रेलवे बाेर्ड और सीवीसी के तमाम नियमों को दरकिनार कर उन्हें लंबे समय तक टाटानगर में गुड्स का प्रभारी बनाये रखा गया. कई साल बाद गुड्स से हटाया गया तो टाटानगर में ही उन्हें पार्सल की जिम्मेदारी दे दी गयी. हालांकि बाद में अनियमितता के आरोप लगे और अमित कुमार चौधरी को टाटानगर से हटाकर बिरराजपुर में सीएस की जिम्मेदारी दे दी गयी. तीन साल बाद एक बार फिर अमित पर आदित्य की कृपा बरसी और अमित कुमार को टाटा पार्सल में पदस्थापित कर दिया गया है.
नौशाद बार-बार बनाये गये बलि का बकरा, बार-बार बदले गये सीपीएस
इस तरह रेलकर्मियों के बीच इस बात की चर्चा तेज है कि अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नौशाद अहमद को दो साल में दो से अधिक बाद पार्सल और सीएफओ के बीच बदला गया. हर बार कुछ माह बाद ही उन्हें बिना किसी जायज कारण के हटा दिया गया. पिछले तीन साल में नवीन कुमार अंबष्ट के बाद आरएस मुंडा को पार्सल की जिम्मेदारी दी गयी. उन्हें अचानक हटाकर दोबारा नौशाद अहमद को लाया गया. कुछ माह बाद ही नौशाद को हटाकर फिर से मुंडा को जिम्मेदारी दी गयी. कुछ दिन बाद ही मुंडा को हटाकर नौशाद को यहां भेजा गया. अब कुछ दिन बाद उन्हें हटाकर फिर से अमित कुमार चौधरी की दोबारा टाटानगर पार्सल की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
SER का जोनल विजिलेंस विभाग सफेद हाथी बनकर रह गया
चक्रधरपुर रेलमंडल वाणिज्य विभाग कंट्रोल आर्डर पर तबादला-पोस्टिंग को लेकर भी चर्चा में है. यहां बार-बार कंट्रोल आर्डर पर तबादले किये गये लेकिन उन्हें रेगुलर नहीं किया गया. टाटानगर पार्सल में नौशाद की पदस्थापना से लेकर उसे हटाने तक का निर्देश कंट्रोल आदेश पर भी जारी हुआ. इस आदेश के तहत आठ माह से अधिक समय तक पार्सल जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी. अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर जोनल रेलवे का विजिलेंस विभाग की नजर इन अनियमितताओं पर क्यों नहीं जाती? भ्रष्टाचार की गढ़ बन चुके रेलवे पार्सल कार्यालय में सालों से जमे लोगों पर सीवीसी और रेलवे बोर्ड के संवेदनशील पदों पर तबादले के नियम क्यों क्यों लागू नहीं होते? क्या ऐसे तबादले भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देते ?
जोनल विजिलेंस को यह सवाल खोजने की चुनौती
संवेदनशील पदों पर तबादले का नियम क्या कुछ निरीह रेलकर्मियों पर लागू होते है ?
हर बार तबादलों में स्टेशन बदलने की जगह सिर्फ कुर्सी बदलने की खानापूर्ति क्यों ?
तबादला आदेश जारी होने के बाद महीनों तक रेलकर्मी क्यों रिलीज नहीं किये जाते ?
आखिर कुछ लोगों को क्यों बार-बार पार्सल कार्यालय में ही पदस्थापित कर दिया जाता है ?
टाटा-सीकेपी-राउरकेला-झारसुगुड़ा पार्सल में कितने लोग हैं तो सालों से जमे है ?
फरवरी में तबादले, महीनों तक ROU में मुखर्जी व विशाल को क्यों बनाये रखा गया ?
हर तबादला आदेश का अनुपालन के लिए बार-बार कंट्रोल आर्डर क्यों जारी किये गये ?
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