- राज्यपालों के निरंकुश रवैये पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को बताया लोकतंत्र की जीत
फतेह लाइव, रिपोर्टर






































सीपीएम की सिंदरी-बलियापुर लोकल कमिटी के सचिव विकास कुमार ठाकुर ने सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी न देने के फैसले को अवैध और मनमाना करार दिया गया है. सीपीएम की केंद्रीय पोलित ब्यूरो ने इस निर्णय को भारतीय संविधान में निहित संघीय ढांचे की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यपालों को विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समयबद्ध प्रक्रिया अपनानी होगी, और बिना किसी उचित कारण के उन्हें रोका नहीं जा सकता.
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राज्य सरकारों के अधिकारों को मजबूत करने वाला फैसला – सीपीएम
सीपीएम ने कहा कि यह फैसला न केवल तमिलनाडु, बल्कि केरल जैसे अन्य विपक्षी शासित राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा, जहां राज्यपाल लगातार विधायिका के फैसलों को अनदेखा करते रहे हैं. यह निर्णय अधिनायकवादी प्रवृत्तियों के खिलाफ संघर्ष और लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के इस रुख की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसले राज्य सरकारों को उनके अधिकारों के संरक्षण का भरोसा देगा और केंद्र-राज्य संबंधों में संतुलन कायम करेगा.