फतेह लाइव, रिपोर्टर.











विकास कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य और कल्याण मानव जीवन का आधार है। स्वास्थ्य देखभाल के अतिरिक्त इसमें जीवन के सभी आयाम शामिल होते हैं, जो हमारे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और कल्याण पर असर डालते हैं जैसे रोजगार, काम की स्थिति, आय सुरक्षा, भोजन तक पहुंच, रहने की स्थिति, पर्यावरणीय स्थिति, नागरिकता और अधिकार, सामाजिक संरचना, विकासात्मक दृष्टिकोण आदि हैं।
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भारत में कुछ स्वास्थ्य मानकों में उल्लेखनीय सुधार जैसे कुल जीवन प्रतिशत में वृद्धि या शिशु और मातृ मृत्यु दर में गिरावट हुई है, लेकिन यह सुधार हमारे ‘गरीब’ पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश या नेपाल की तुलना में बहुत कम और देर से हुआ है। व्यापक सामाजिक और आर्थिक असमानता ने सबसे हाशिए पर पड़े लोगों को गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित कर दिया है।
आदिवासी, दलित और धार्मिक अल्पसंख्यक, सामाजिक असमानताओं और भेदभाव से पीड़ित रहते हैं, जो उनके खराब स्वास्थ्य संकेतकों में परिलक्षित होते हैं। विभिन्न समुदायों के बीच बढ़ती आर्थिक असमानता और सामाजिक विभाजन ने हाल के वर्षों में हिंसा में वृद्धि की है, इन्हीं सब बातों को लेकर चार दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है।