फतेह लाइव, रिपोर्टर.
सिरोपा साहिब गुरु महाराज की बख़्शीश है जिसे किसी भी व्यक्ति को धर्म व समाज के लिए किए गये विशेष प्रयास, क़ौम के लिए क़ुर्बानी करने या किसी व्यक्ति विशेष की सराहनीय योग्यता को ध्यान में रख कर दिया जाता है .
यह सम्मान का प्रतीक है, इसकी महत्ता अलग है. किंतु समय-समय पर अक्सर इसका दुरुपयोग होता समाज में देखा जा रहा है. विशेष कर गुरु पर्व के समय. आने वाले गुरु नानक जयंती के नगर कीर्तन के दौरान हमारी क़ौम के आगुओं द्वारा इसका साक्षात् उदाहरण आपको देखने को मिल जाएगा, जब सैंकड़ों की संख्या में सिरोपा साहिब इस दौरान रास्ते में सम्मान के लिए धारण करवाए जाएँगे.
तब आप स्वतः समझ जाएँगे कि इनकी करनी और कथनी में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है. एक तरफ़ सिरोपा साहिब नहीं देने की बात करते हैं, तो दूसरी ओर सिरोपा साहिब हर किसी को देकर इसकी महत्ता को कम कर देते हैं.
अतः सिख क़ौम के बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों से मेरी करबध प्रार्थना है कि आगे आयें, समय आ गया है और सिरोपा साहिब की गिरती हुई साख को समय रहते बचा लें, वरना आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी.
गुरु घर का सेवक
तारा सिंह
मुख्य सेवादार
गुरुद्वारा साहिब
सोनारी, जमशेदपुर