फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जी हां झारखंड में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुआ लेकिन यहां हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.कोई कह रहा है कि यह भाजपा का गेम प्लान है तो कोई इस गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार पर ईडी की कार्रवाई बता रहा है तो कोई इसे सरकार गिराने की साज़िश.खैर जो भी हो लेकिन इन सबके बीच ईडी और राजभवन पर पिछले 15 दिनों से टिकी निगाहें और मुद्दे मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी तक जाकर खत्म नहीं होंगी.अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गिरफ्तार होते ही गेंद राजभवन के पाले में चली गई है तो दूसरी ओर विपक्ष का भी कहना है कि हमारे पास जादुई आंकड़े होने के बावजूद हमें राजभवन घुसने नहीं दिया गया. अब जो हालात हैं इस पर तीन विकल्प तैयार हो रहें हैं-
(1)राष्ट्रपति शासन
(2)गठबंधन को शपथ का मौका
(3)एनडीए का फ्लोर टेस्ट
झारखंड में ये है नंबर गेम
झारखंड में कुल विधानसभा की सीटें 81 हैं यानि सरकार बनाने के लिए मैजिक फीगर है 41और गठबंधन के आंकड़ों में झामुमो सबसे बड़ी पार्टी है क्योंकि उसके पास 28 विधायक हैं.गठबंधन के साथ सरकार चला रही कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी है जिसके 17 विधायक हैं वहीं आरजेडी के 1 और सीपीआई के 1 विधायक है.कुल मिलाकर इनके पास 47 विधायक थे हालाकि गांडेय की सीट खाली है.वहीं अगर एनडीए की बात करें तो विपक्षी पार्टी में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है उसके पास 26 विधायक हैं जबकि सहयोगी दल आजसू के पास 3,निर्दलीय 2 और एनसीपी के 1 विधायक हैं.कुल मिलाकर एनडीए का आंकड़ा 32 ही पहुंचता है.उसे हर हाल में जेएमएम और कांग्रेस को मिलाकर कम से कम 10 विधायक को तोड़ना होगा तभी वो 41-42 के आंकड़ों तक पहुंच पायेगी जो कि बहुत आसान काम नहीं है.
गठबंधन की निगाहें राजभवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक
इधर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले को लेकर कल गिरफ्तारी के कुछ घंटे पहले ही हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई थी जिस पर आज सुबह सुनवाई होनी थी लेकिन याचिका वापस ली गई और इस बीच मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की चर्चा भी हो रही है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
सीनियर एडवोकेट और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपील सिब्बल ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मेंशन किया है जिसमें 2 फरवरी को सुनवाई होगी. बहरहाल जो भी हो सबकी निगाहें अब सत्ता,राजभवन,विपक्ष,ईडी और कोर्ट के फैसले पर आकर टिक गई है.
नीतीश को मौका,चंपाई को धोखा?
बात बिहार की करें तो अभी चार दिन पहले ही सियासी पारा उफान पर था और कल तक गठबंधन में सीएम रहे नीतीश अचानक एनडीए के साथ हो लिए.आखिर ऐसा क्या हुआ कि राजद से देखते ही देखते मोहभंग हुआ और नीतीश अचानक राजभवन इस्तीफा देने पहुंचे.बहाने तो नेताओं के पास 36 होते हैं सरकार गिरने और बनाने के मौके पर लेकिन जितनी तेजी से समीकरण बदले उस पर पूरा देश हैरान रह गया.
कल तक पानी पी-पीकर एक दूसरे पर लांछन लगाने वाले दो दल अचानक एक हो गए और चट इस्तीफा पट शपथ ग्रहण हो गया फिर एक ही दिन में पूरी की पूरी सरकार ही खड़ी हो गई.
वो बिहार था जहां भाजपा साथ थी और राजभवन में भी पूरी तैयारी थी ये झारखंड है यहां भाजपा साथ नहीं है शायद इसीलिए तो कल मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से लेकर सरकार बनाने तक नाटकीय ढंग से राजनीतिक बखेड़ा खड़ा हो रहा है.अगर बिहार की तरह ही यहां चंपाई सोरेन को भी हेमंत के इस्तीफे का बाद तुरंत मौका मिला होता तो सरकार अब तक मूर्तरूप ले चुकी होती लेकिन लोग अब कहने लगे हैं कि झारखंड में खेला होगा या मेला ये तो अब वक्त ही बताएगा.