- विद्रोही कवि के जीवन एवं काव्य पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धांजलि सभा सम्पन्न
फतेह लाइव रिपोर्टर
नेताजी सुभाष चंद्र बोस बर्थ एनिवर्सरी सेलिब्रेशन कमेटी के तत्वावधान में सोमवार को दाहिगोरा शिव मंदिर प्रांगण में विद्रोही कवि काजी नज़रुल इस्लाम की 126वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. कार्यक्रम की शुरुआत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आदम कद मूर्ति पर माल्यार्पण एवं काजी नज़रुल इस्लाम के चित्र पर दीप प्रज्जलन से हुई. स्वागत भाषण के माध्यम से श्री उत्तम कुमार दास ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया. इस दौरान स्वागता मुखर्जी ने नज़रुल गीति पर आधारित मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित जनमानस का मन मोह लिया. कमेटी अध्यक्ष अमित सेन ने कवि के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया. सुप्रसिद्ध लेखक वीरेंद्रनाथ घोष ने नज़रुल इस्लाम को साहित्य जगत का अविस्मरणीय व्यक्तित्व बताते हुए उनकी बहुमुखी प्रतिभा की चर्चा की.
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काजी नजरुल इस्लाम की जयंती पर यादगार समारोह
कार्यक्रम में पानमोनी सिंह ने कवि के जीवन संघर्षों पर प्रकाश डाला और कहा कि नज़रुल इस्लाम के लेखों में गरीब, शोषित और पीड़ित वर्ग की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है. डॉ. संदीप चंद्र ने उनकी दो प्रमुख कविताएं ‘साम्यवाद’ और ‘कंडारी होशियार’ का पाठ किया. डॉ. प्रसनजीत कर्मकार ने कहा कि नज़रुल इस्लाम रवींद्रनाथ टैगोर के समकालीन होने के बावजूद सामाजिक अन्याय, सांप्रदायिकता, जातिवाद और धर्मांधता के खिलाफ जुझारू थे. उनके लेख अंग्रेजों के विरोध में उग्र थे, जिनके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा. कविता और लेखन आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि सामाजिक कुरीतियां, जातिगत भेदभाव एवं सांप्रदायिकता अब भी विद्यमान हैं. कल्पना बोस ने अपना स्वरचित काव्य पाठ प्रस्तुत किया.
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विद्रोही कवि नजरुल इस्लाम की विरासत पर जोर
कार्यक्रम का संचालन रश्मिता घोष ने किया. उपाध्यक्ष बिटिया कश्यप ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. समारोह में मुकुल महापात्र, श्रीमंत बारिक, सरोज साव, अनुपम भगत, चन्दना महाकुर, लक्ष्मी बिदाई, आरती कारेक, निर्मल दास सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे. अंत में शिक्षक अनुपम भगत को नेताजी जयंती के पिछले कार्यक्रम के स्मृति चिन्ह के रूप में मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया. इस आयोजन ने काजी नज़रुल इस्लाम की विरासत को जीवित रखने और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया.