- गुरु ही वह पात्र हैं जिनमें परमात्मा की झलक मिलती है – मां ज्ञान
- गुरु भक्ति से ही मिलती है परमशांति की राह – मां ज्ञान
फतेह लाइव, रिपोर्टर
गिरिडीह के सिहोडीह स्थित श्री कबीर ज्ञान मंदिर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ किया गया. प्रातःकाल गुरु पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें दूर-दराज से आए लगभग 2,000 श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर अपने सद्गुरु का पूजन एवं वंदन किया. मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था, जिससे वातावरण दिव्यता से भर गया. अपराह्न 3 बजे से आरंभ हुए सत्र में बच्चों द्वारा भावनृत्य, नाट्य मंचन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक भाव में लीन कर दिया गया. बच्चों द्वारा “गुरुर ब्रह्मा, गुरु विष्णु” पर भावपूर्ण नृत्य और “गुरु है बड़े गोविंद से” पर नाट्य प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया.
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श्री कबीर ज्ञान मंदिर में बच्चों की प्रस्तुति ने मोहा श्रद्धालुओं का मन
कार्यक्रम के मुख्य भाग में सद्गुरु मां ज्ञान ने उपस्थित जनसमुदाय को गुरु की महिमा पर विस्तार से संबोधित किया. उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन रूपी भटकाव से मुक्ति असंभव है. सद्गुरु कबीर साहेब के अनुभवों के आधार पर उन्होंने बताया कि गुरु ही वह दीपक हैं जो अज्ञानरूपी अंधकार को चीरकर हमें सत्य की राह दिखाते हैं. उन्होंने कबीर साहब के पद “गुरु बिन कौन बतावे बाट” के माध्यम से यह समझाया कि साधक चाहे जितना भी प्रयास कर ले, यदि उसके जीवन में सद्गुरु का मार्गदर्शन नहीं है, तो वह माया, क्रोध, अहंकार और ईर्ष्या की बाढ़ में बह जाता है. उन्होंने गुरु की कृपा को केवल आशीर्वाद नहीं, बल्कि आत्मविश्लेषण की दृष्टि बताया, जिससे आत्मा का शोधन और चेतना का विस्तार संभव होता है.
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गुरु की कृपा से होता है आत्मा का शोधन, विकारों से मुक्ति – मां ज्ञान
मां ज्ञान ने गुरु को परमात्मा का प्रतिबिंब बताया और कहा कि गुरु के बिना यह भवसागर पार करना संभव नहीं. उन्होंने कहा, “गुरु भक्ति वह शक्ति है, जो साधक को काम, क्रोध, मोह, अहंकार जैसी भीषण आंधियों में भी स्थिर रहने की क्षमता देती है.” उनके अनुसार गुरु की चुप्पी में भी आत्मा की पुकार छिपी होती है, और उनके मौन में सत्य की दिशा होती है. गुरु मार्गदर्शक ही नहीं, बल्कि जीवन को आत्मज्ञान से जोड़ने वाले सेतु हैं. अंत में मां ज्ञान ने सभी श्रद्धालुओं को गुरु के प्रति समर्पण, विनम्रता और सेवा के भाव के साथ जीवन जीने की प्रेरणा दी. महोत्सव का समापन प्रसाद वितरण एवं भजन कीर्तन के साथ हुआ.