- सुभाष इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी में वर्ल्ड फूनाकोशी सोटोकान कराटे संगठन ने किया संघ गठन, कराटे के महत्व पर हुई चर्चा
- झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने दिया आदिवासी अधिकारों की मजबूती का संदेश
फतेह लाइव, रिपोर्टर
गिरिडीह सुभाष इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी में वर्ल्ड फूनाकोशी सोटोकान कराटे ऑर्गनाइजेशन के तत्वाधान में झारखंड फूनाकोशी संघ तथा कमेटी का गठन किया गया. यह बैठक इंडिया के चीफ हंसी मोहम्मद हसन की गाइडलाइंस के अंतर्गत सरदार देवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई. सर्वसम्मति से सरदार देवेंद्र सिंह को संरक्षक, डॉ विजय सिंह को अध्यक्ष, सेंसेई उज्जवल कुमार सिंह को सचिव, राजेंद्र पुंचिया को सह सचिव तथा निरंजन कुमार सिंह को तकनीकी सचिव चुना गया. बैठक में आगामी 29, 30 और 31 अगस्त को गिरिडीह में चौथी इंडो-नेपाल इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्णय लिया गया. महासचिव उज्जवल सिंह ने इस आयोजन की जानकारी दी. डॉ विजय सिंह ने बताया कि कराटे केवल खेल नहीं, बल्कि आत्मरक्षा का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए इसे सीखना अत्यंत आवश्यक है.
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कराटे प्रशिक्षण से महिलाओं की सुरक्षा मजबूत होगी
इसी दिन झामुमो जिला समिति, गिरिडीह द्वारा सरना धर्म कोड एवं आदिवासी धर्म कोड को मान्यता दिलाने हेतु गिरिडीह शहर के टावर चौक में एक विशाल धरना कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में झारखंड सरकार के माननीय मंत्री सुदिव्य कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष शहनवाज अंसारी ने की, जबकि संचालन अजीत कुमार पप्पु एवं कोलेश्वर सोरेन ने संयुक्त रूप से किया. धरना का मुख्य मुद्दा भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा देशभर में जातिगत जनगणना की योजना को लेकर था, जबकि झारखंड सरकार ने 11 नवंबर 2020 को सर्वसम्मति से पारित सरना धर्म कोड विधेयक केंद्र सरकार के अनुमोदन हेतु भेजा था. बावजूद इसके लगभग पांच वर्षों के बाद केंद्र सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया.
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सरना धर्म कोड की मंजूरी के लिए आदिवासी संगठनों का संघर्ष जारी
धरना कार्यक्रम में उपस्थित कई गणमान्य नेताओं ने केंद्र सरकार की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की आदिवासी समुदाय के प्रति मानसिकता को दर्शाता है. मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि जब 1972 में दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने झारखंड को अलग राज्य के रूप में मांग की थी, तब कोई इसे गंभीरता से नहीं ले रहा था. पर 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बन गया. उसी प्रकार आज दिशोम गुरु का कहना है कि देश के 12 करोड़ आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड मान्यता प्राप्त होगी, और यह अवश्य होगा.
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आदिवासी अधिकारों की रक्षा में झामुमो का प्रमुख योगदान
इस धरना कार्यक्रम में झारखंड मुक्ति मोर्चा के केदार हाजरा, प्रणव वर्मा, दिलीप मंडल, बबली मरांडी, प्रमिला मेहरा, ज्योति सोरेन, नुनुराम किस्कु, कोलेश्वर सोरेन, प्रधान मुर्मू, हरिलाल मरांडी, बिरजु मरांडी, राकेश सिंह रॉकी, अभय सिंह, योगेन्द्र सिंह, राकेश सिंह टुन्ना, शिवम आजाद, सुमित कुमार, अशोक राम, मेहताब मिर्जा, दिलीप रजक, कृष्ण मुरारी, अनिल राम, महावीर मुर्मू, प्रदोष कुमार, भरत यादव, नूर अहमद, हसनैन अली, मो॰ जाकीर, छक्कु साव, विजय सिंह, सन्नी रईन, नरेश यादव, पप्पु रजक, हरि मोहन कंधवे, अमित चंद्रवंशी सहित हजारों कार्यकर्ता उपस्थित रहे. सभी ने एकजुट होकर आदिवासी पहचान व अधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया.