- निर्धारित कार्यस्थल पर ही उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश का लगातार हो रहा उल्लंघन
- स्वास्थ्य विभाग सख्ती से कराये जांच तो लपेटे कई जिलों के सिविल सर्जन भी आ सकते हैं
- छतरपुर अनुमंडल अस्पताल में पदस्थापित डॉ मृत्युंजय सिंह की हाजिरी जांच के घेरे में
फतेह लाइव रिपोर्टर
सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर समेत सभी स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति बायोमैट्रिक सिस्टम से बनाने का सख्त आदेश जारी कर रखा है. इसे सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी जिलों के सिविल सर्जन को दी गयी है लेकिन हकीकत में अलग-अलग स्थान पर लोग अपने तरीके से इस आदेश को परिभाषित कर सरकार के निर्देशाें की हवा निकाल रहे हैं. बताया जाता है कि पलामू में भी बायोमैट्रिक की जगह मैनुअल हस्ताक्षर कर कई डॉक्टर वेतन की निकासी कर ले रहे. यह सब सिविल सर्जनों की जानकारी में हो रहा है, जिन्हें इसे रोकने की महती जिम्मेदारी दी गयी है.
पलामू जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में सरकारी डॉक्टर महीने में मात्र 6 से 8 दिन ही बायोमैट्रिक हाजिरी बना रहे हैं. छतरपुर अनुमंडल अस्पताल में पदस्थापित डॉ मृत्युंजय सिंह पर 300 किलोमीटर दूर जमशेदपुर में निजी प्रैक्टिस करने की शिकायत स्वास्थ्य विभाग से की गयी है. सूत्रों का कहना है कि डॉ सिंह की लगभग हर माह 6 से 8 दिन ही बायोमैट्रिक हाजिरी रिकार्ड में दर्ज है. जनवरी 2024 में 23 में 6 दिन, फरवरी में 23 में 6 दिन, मार्च में 23 में 8 दिन और अप्रैल में 24 में 8 दिन ही इनके द्वारा बायोमैट्रिक हाजिरी बनायी गयी है. यह क्रम साल 2023 में भी कुछ ऐसा ही था.
ऐसे में उठ रहे गंभीर सवाल, जिनकी होनी चाहिए जांच
- अगर अगर 6 से 8 दिन बायोमैट्रिक हाजिरी बनी तो अन्य दिनों की उपस्थिति किस तरह दर्ज करायी गयी थी ?
- क्या इन दिनों में बायोमैट्रिक सिस्टम काम नहीं कर रहे थे? क्या इसकी विधिवत रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी ?
- अगर सिस्टम काम कर रहा था तो मैनुअल हाजिरी बनाने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी?
- क्या उन दिनों में डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की विधिवत ड्यूटी करने से जुड़े साक्ष्य या रिकार्ड अस्पताल प्रबंधन के पास हैं?
- क्या बायोमैट्रिक हाजिरी नहीं बनाने वाले दिन डॉक्टर साहब ड्यूटी से गायब थे?
- बायोमैट्रिक हाजिरी नहीं दर्ज कराने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को कितनी बात स्पष्टीकरण मांगा गया?
- ऐसे कितने डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई की अनुशंसा सिविल सर्जन स्तर पर की गयी?
ये तमाम सवाल जांच के दायरे में हैं. हालांकि पलामू के सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने मीडिया से बातचीत में यह जरूर कहा कि डॉ मृत्युंजय सिंह से पूर्व में स्पष्टीकरण पूछा गया था. बावजूद उनके सुधार नहीं हुआ और अब विभागीय कार्रवाई की तैयारी की गयी है. सवाल यह है कि एक साल से भी अधिक समय से चल रही इस अनियमितता पर सिविल सर्जन क्यों मौन थे ? यह सब उनकी सहमति से चल रहा था? यह भी जांच का विषय है. जारी ….
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