फतेह लाइव, रिपोर्टर.
अमेरिका ने चीन पर 245% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है, जो कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था में एक बड़ा भूचाल मचाने वाला निर्णय माना जा रहा है. यह टैरिफ मुख्यतः चीनी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), स्टील, एल्यूमिनियम, बैटरी और सोलर पैनल्स जैसे उत्पादों पर लगाया गया है. इसका उद्देश्य अमेरिकी घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना और चीन की डंपिंग नीति का विरोध करना है. मुकेश मित्तल अध्यक्ष, पूर्वी सिंहभूम जिला मारवाड़ी सम्मेलन एवं पूर्व उपाध्यक्ष, सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने इस पर अपनी बातें रखीं हैं.  उन्होंने कहा कि इस फैसले के दूरगामी प्रभाव होंगे. वैश्विक व्यापार संतुलन में बदलाव आएगा, भारत जैसे विकासशील देशों को अप्रत्याशित लाभ मिलेगा और झारखंड के व्यापारियों के लिए नए अवसरों के द्वार खुलेंगे.
अमेरिका का यह कदम क्यों? 
चीन ने पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों और स्टील उत्पादों का उत्पादन कर उन्हें सस्ते दामों पर वैश्विक बाज़ारों में बेचना शुरू किया, जिसे “डंपिंग” कहा जाता है. इससे अमेरिकी उद्योगों को गहरा नुकसान हो रहा था. अमेरिका का आरोप है कि चीनी सरकार अपने उत्पादकों को सब्सिडी देती है जिससे वे कृत्रिम रूप से सस्ते दामों पर वैश्विक बाज़ार में माल बेचते हैं. 245% का टैरिफ इस डंपिंग नीति को चुनौती देता है और घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन देता है. यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आगामी चुनावों से पहले घरेलू उद्योगों को राहत देने और चीन के साथ व्यापार संतुलन बनाने के प्रयासों का हिस्सा है.

वैश्विक प्रभाव: नया व्यापारिक संतुलन 

यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों पर भी सवाल खड़ा करता है, लेकिन अमेरिका ने अपने घरेलू हितों को प्राथमिकता दी है. इससे चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा और वैश्विक सप्लाई चेन में बड़ा बदलाव आएगा.
•यूरोपीय संघ और अन्य देश अब अमेरिका के कदम से प्रेरित होकर अपनी व्यापारिक नीतियों में बदलाव कर सकते हैं.
•वैश्विक निवेशकों का ध्यान अब उन देशों की ओर जाएगा जहाँ निर्माण लागत उचित है, और जो चीन का विकल्प बन सकते हैं.
•बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) चीन से हटकर भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों की ओर रुख करेंगी.

भारत को कैसे लाभ होगा? 

भारत इस फैसले से कई मोर्चों पर लाभान्वित हो सकता है:
1.मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभरने का मौका: 
अमेरिका और यूरोपीय कंपनियाँ अब भारत में निर्माण इकाइयाँ स्थापित कर सकती हैं, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा.
2.निर्यात में तेजी: 
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स, स्टील और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में निर्यात के अवसर बढ़ेंगे. चीन के खाली होते बाजार में भारत प्रवेश कर सकता है.
3.एफडीआई (FDI) में उछाल: 
विदेशी कंपनियाँ अब चीन के विकल्प के रूप में भारत को चुन सकती हैं. इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि होगी.

झारखंड और जमशेदपुर के व्यापारियों के लिए सुनहरा अवसर 

झारखंड खासकर जमशेदपुर, जो लौह एवं इस्पात उद्योग का केंद्र है, के लिए यह टैरिफ निर्णय वरदान साबित हो सकता है.
1.स्टील उद्योग को राहत: 
अब अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चीन की जगह भारत के स्टील उत्पादों की मांग बढ़ेगी. जमशेदपुर में स्थित टाटा स्टील और अन्य छोटे व मध्यम स्टील प्लांट्स के लिए यह बड़ा अवसर है.
2.खनिज और लोहा अयस्क व्यापार को प्रोत्साहन: 
झारखंड खनिजों से भरपूर राज्य है. यहाँ से लौह अयस्क और कोयले की अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि संभावित है.
3.लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) के लिए लाभ: 
जमशेदपुर व आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित MSMEs को अब अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों से ऑर्डर मिल सकते हैं, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा.
4.नए निर्यात मार्गों का विकास: 
जमशेदपुर के व्यापारियों को अब सरकार से आग्रह करना चाहिए कि एक समर्पित निर्यात नीति लाई जाए, जिसमें टर्मिनल सुविधा, लॉजिस्टिक सुधार और सस्ती क्रेडिट लाइन शामिल हों.

क्या करें जमशेदपुर और झारखंड के व्यापारी? 

1.निर्यात प्रमाणन (Export Certification) और क्वालिटी सुधार पर ध्यान दें. 
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण है.
2.सरकार से निर्यात अनुदान व लॉजिस्टिक सुधार की मांग करें. 
स्थानीय चैंबर ऑफ कॉमर्स को आगे आकर व्यापारियों के लिए नीतिगत संवाद शुरू करना चाहिए.
3.विदेशी खरीदारों से संपर्क साधें 
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, व्यापार मेलों और B2B साइट्स का प्रयोग कर नए खरीदारों से संपर्क किया जा सकता है.
4.स्टार्टअप्स और इनोवेशन में निवेश करें. 
तकनीक आधारित समाधान और ऑटोमेशन अपनाकर प्रतिस्पर्धा में बने रहें.
 निष्कर्ष:
अमेरिका द्वारा चीन पर 245% टैरिफ लगाना केवल एक व्यापारिक निर्णय नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाने की कोशिश है. भारत के लिए यह एक अवसर है — खासकर झारखंड और जमशेदपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के लिए, जो अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अहम भूमिका निभा सकते हैं. व्यापारियों को इस अवसर को भुनाने के लिए तत्पर रहना चाहिए. यही समय है जब “मेक इन इंडिया” को “सप्लाई टू द वर्ल्ड” में बदला जा सकता है. जमशेदपुर के लिए यह सिर्फ एक अवसर नहीं, बल्कि आर्थिक पुनर्जागरण का आरंभ हो सकता है.
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