फतेह लाइव, रिपोर्टर.
होला मोहल्ला का सिख समुदाय का बेहद खास त्यौहार है. पंजाब में इस पर्व पर सिखों की संस्कृति देखने लायक होती है. मिनी पंजाब कहे जाने वाले जमशेदपुर में भी इस पर्व का भव्य आयोजन एनएच 33 स्थित गुरुद्वारा संगत सर गुरुद्वारा, नरगा (बॉम्बे रोड गुरुद्वारा) में पिछले 45 वर्षों से होता आया है. पूर्व में डिमना रोड में यह गुरुद्वारा हुआ करता था. जहां बाबा खजान सिंह की सरपरसती में यह आयोजन होता था. अब पिछले आठ सालों से नरगा में बाबा जोगा सिंह की अध्यक्षता में कार्यक्रम होता है. रविवार को फिर इसकी तैयारियां की गई है. बाबा जोगा सिंह ने फतेह लाइव को बताया कि शहर के विभिन्न गुरुद्वारा के कीर्तनिये और कथा वाचक इसमें गुरवानी के उपदेशों से संगत को निहाल करेंगे.

इसे लेकर शुक्रवार से बिरसानगर निवासी रामकिशन सिंह परिवार की ओर से श्री अखंड पाठ की सेवा की गई है, जिसका भोग रविवार सुबह 11 बजे पड़ेगा. उपरांत शाम चार बजे तक विशेष दीवान सजायेंगे. संगत के पहुंचने के लिए बस की सेवा माहीवाल ट्रेवल्स के गुरदीप सिंह पप्पू परिवार की ओर से की गई है. यह बसे टुईलाडूंगरी गुरुद्वारा, गोलमुरी पेट्रोल पंप और टिनप्लेट गुरुद्वारा से खुलेंगी. कार्यक्रम के बाद संगत को गंत्वय तक पहुंचाया भी जायेगा. बाबा जोगा सिंह ने संगत को भारी संख्या में पहुंचकर गुरु घर की खुशियाँ प्राप्त करने की अपील की है.
क्या है महत्त्व
होला मोहल्ला आमतौर पर होली के अगले दिन शुरू होता है. यह त्यौहार सिखों के पवित्र स्थल श्री केसर गढ़ साहेब आनंदपुर में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत सिखों के दशवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने 17वीं शताब्दी में की थी.
कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
इस त्यौहार को मनाने के पीछे गुरु गोबिंद सिंह जी का मकसद था कि ऐसे समुदाय का निर्माण हो, जो न केवल काबिल योद्धा हो, बल्कि उनमें आत्म -अनुशासन और आध्यात्मिक में भी कुशल हो. इस त्यौहार का उद्देश्य एकता, बंधुत्व, वीरता और पारस्परिक प्रेम फैलाना है. इसलिए सिख समुदाय के लिए यह त्यौहार धार्मिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्व रखता है और दुनियाभर में इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.