- दामोदर नदी और सहायक नदियों से बिना रोकटोक बालू माफियाओं का धड़ल्ले से बालू उठाव, प्रशासन की उदासीनता बढ़ा रही समस्या
- अवैध बालू खनन से खतरे में ग्रामीणों का जीवन और पर्यावरण
फतेह लाइव, रिपोर्टर
बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल के दामोदर नदी तथा उसकी सहायक नदियों से रात के अंधेरे में अवैध बालू खनन का सिलसिला लगातार जारी है. स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार प्रशासन की मिलीभगत के चलते दर्जनों ट्रैक्टर बालू लादकर बिना रोकटोक नदी से बालू उठाते हैं. यह बालू माफिया न केवल नदी के प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद कर रहे हैं बल्कि ग्रामीणों के लिए भी जान-माल का खतरा बन चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार उनके मवेशी ट्रैक्टर की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें एक घटना में एक मवेशी का पैर टूट गया. अवैध बालू लादे हुए ट्रैक्टर बिना नंबर प्लेट के चलाए जा रहे हैं और ज्यादातर ललपनिया के कोदवाटांड़ क्षेत्र से आते हैं. ग्रामीणों को ट्रैक्टरों की आवाज से रात में नींद नहीं आती, बावजूद इसके कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हो रही है.
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ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश और प्रशासन की लापरवाही
ग्रामवासियों का कहना है कि गोमिया प्रखंड के रेलवे कॉलोनी असनापानी स्थित दामोदर नदी तट, झिड़की-सरहचिया व तुलबुल पंचायत के कारी टोंगरी से पिंडरा मार्ग तक बालू माफिया पूरी निर्भीकता से बालू उठाव कर रहे हैं. 7 जून की रात ग्रामीणों ने तंग आकर इन ट्रैक्टरों को रोकने का प्रयास किया था, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण बालू माफियाओं को छोड़ दिया गया. इससे माफियाओं का मनोबल बढ़ा है और वे बेखौफ होकर बालू खनन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कसमार ओपी क्षेत्र के घटनाक्रम का भी उल्लेख किया जहां एक माह पूर्व सैकड़ों ग्रामीणों ने बालू लदे ट्रैक्टरों की चाबी जब्त कर ली थी, लेकिन पुलिस की समझाइश के बाद उन्हें वापस करना पड़ा. इस दौरान बालू माफियाओं और ग्रामीणों के बीच झड़प भी हुई थी.
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बालू माफियाओं के खिलाफ ग्रामीणों के संघर्ष की कहानी
ग्रामीणों ने बेरमो अनुमंडल के प्रशासन और पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि अवैध बालू खनन रोका जा सके और नदी के संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके. ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे बड़े आंदोलन को तैयार हैं. इस गंभीर समस्या से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा और रोज़गार पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि कब इस संकट से निपटने के लिए कदम उठाते हैं.