फतेह लाइव, रिपोर्टर.
गोविंदपुर के रहने वाले हवलदार केशव प्रसाद सिंह ने 20 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1955 को भारतीय सेना में भर्ती होकर देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना पाल रखी थी। सेना की 61 इंजीनियर रेजिमेंट के इस सिपाही ने 1962, 1965 और 1971 का युद्ध देश कि रक्षा के लिए लड़ा है। सेना में भरती होने वाला हर सैनिक युद्ध की चाहत रखता भले ही हो, लेकिन अवसर विरलों को ही मिल पाता है।
याद है चीन की भितरघात वाला युध्द तो अच्छी तरह उनके जहन में अब भी ताजा है. 1965 का भारत पाक युद्ध का वो पल जब पाकिस्तान को थर्रा देने वाला नेतृत्व में उनकी रेजिमेंट का कितना अहम योगदान था। इतना ही नहीं 1971 के भारत पाक युद्ध में वे कश्मीर के चम्ब सेक्टर में तैनात थे। वे बताते हैं कि किस तरह तीनों सेना के बेहतर समन्वय से चम्ब में पाकिस्तानी सैनिकों को भरतोय सेना ने अपने टैंकों तले रौंद दिया था।
इससे पहले की पाकिस्तानी कुछ सोच पाते इंजीनियर रेजिमेंट की टुकड़ी ने अपने डायनमाइट से उनके सारे रास्ते काट दिए। भारत की सेना ने जीत कर सीना चौड़ा कर लिया और चाह भी थी की अब लाहौर पर कब्जा हो जाये, लेकिन राजनीति के निर्णय से वे स्वयं को दुखी पाते हैं।
1971 के वीर और संगठन के सक्रिय सदस्य केशव कुमार सिंह के आकस्मिक निधन से संगठन को अपूरणीय क्षति हुई है. अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद जमशेदपुर के सदस्यों द्ववारा नम आंखों से रविवार को उन्हें विदाई दी गई। मौके पर संगठन अध्यक्ष विनय कुमार यादव महामंत्री जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि उनका आकस्मिक चला जाना संगठन के लिए बहुत बड़ी छती है।
इस दौरान आदिवासी कल्याण मंत्री सह कृषि मंत्री भारत सरकार अर्जुन मुंडा की धर्मपत्नी मीरा मुंडा ने भी वीर शहीद केशव प्रसाद सिंह के निधन पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही विनोद सिंह, रतन महतो और सतीश सिंह भी शामिल हुए.
इस मौके पर वरुण कुमार, के एम सिंह, मनोज कुमार सिंह, राजीव सिंह, रामनवमी सिंह, अमोद कुमार, जसबीर सिंह, उमेश सिंह, के एन सिंह, देवेंद्र यादव, अवधेश कुमार, संतोष सिंह, पुष्पेंद्र कुमार, बिमल ओझा सहित 25 सदस्य उपस्थित रहे।