- अगर लोग अखबार नहीं पढ़ रहे हैं, तो हम किस आजादी की बात कर रहे हैं : हरिकुमार
- प्रभात खबर के लिए शिलान्यास और उद्घाटन में कोई अंतर नहीं, दोनों एक ही शब्द हैं !
- स्टेशन चौक के होली मिलन समारोह में अतिथि होंगे भैया जी !
देश में संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild Of India) ने ’भारत में प्रेस की स्वतंत्रता : वर्तमान और भविष्य’ (Press Freedom in India: Present and the Future) विषय पर 15 मार्च 2024 को दिल्ली के ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में कॉन्क्लेव का आयोजन किया था. इस मंच पर जुटे वरिष्ठ पत्रकार, पब्लिशर्स, वकील और मीडिया शोधकर्ताओं ने पत्रकार व देश में प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े अहम मुद्दों पर डिस्कशंस किया. इसमें मीडिया के आत्मनिरीक्षण के बारे में बात करते हुए केएन हरिकुमार ने अहम बात रखी कि ‘अगर लोग अखबार नहीं पढ़ रहे हैं, तो हम किस आजादी की बात कर रहे हैं?’
सवाल उठता है कि लोग अखबार क्यों नहीं पढ़ रहे? क्या उसमें पढ़ने लायक कुछ नहीं रह गया ? क्या डिजिटल तकनीक के युग के थोपी गयी सूचना के तथ्य और हकीकत के अंतर को लोग पचाने को तैयार नहीं ? क्या अखबार जानकारी की जगह मिथ्या सूचनाएं दे रहा? बड़ा अहम सवाल अब उभर कर सामने आया है जो हमारी चिंताओं को बढ़ा रहा है. दिल्ली में आयोजित कॉन्क्लेव में उठी चिंताओं के बीच अचानक जमशेदपुर प्रभात खबर में प्रकाशित एक खबर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है.
बहुत छोटी सी बात है लेकिन यह पत्रकार, पत्रकारिता, खबर लेखन, संपादन से लेकर स्थानीय संपादक की भूमिका व कार्यशैली को सवालों में खड़ा कर देती है. किसी योजना को जमीन पर उतारने से पहले शिलान्यास किया जाता है और मूर्त रूप में आकार लेने के बाद उसका उद्घाटन करने की परंपरा रही है. यह सामान्य जानकारी है लेकिन ऐसा लगता है कि दैनिक प्रभात खबर की जानकारी व राय इससे पूरी तरह अलग है. प्रभात खबर के लिए दोनों ही शब्द व अर्थ एक ही हैं.
प्रभात खबर जमशेदपुर के 20 मार्च 2024 के अंक में ”टाटा कमिंस का पहला हाइड्रोजन इंजन तैयार, नये प्लांट का शिलान्यास आज” की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गयी. खबर से कई जगह प्लांट के शिलान्यास का जिक्र किया गया है. इसमें यह भी बताया गया कि शिलान्यास के बाद बुधवार यानी 21 मार्च 2024 से इसमें काम भी शुरू हो जायेगा.
देखें 20 मार्च 2024 को प्रभात खबर में प्रकाशित खबर
21 मार्च 2024 को प्रभात खबर में प्रकाशित खबर
खबर को पढ़कर अजीब नहीं लगा. ऐसा इसलिए कि प्रभात खबर में संजय मिश्र के संपादक बनकर आने के बाद सीखने और सिखाने की परंपरा खत्म हो चुकी है. प्रतिभावान लोगों को सिर्फ इसलिए प्रताड़ित कर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा क्योंकि वह संपादक के साथ तालमेल बना पाने में असफल रहे. कभी किसी की बाईलाइन हटवा दी जा रही तो कभी मंदिर कमेटी के विरोध की खबर को इसलिए छोटा कर दिया जाता है क्योंकि दूसरी कमेटी में संजय मिश्र पदाधिकारी हैं. अब तक शहर में यह बात आम हो चुकी है कि प्रभात खबर में खबर प्रकाशित करानी हो तो भैया जी का सम्मान करना ही होगा !
टाटानगर स्टेशन चौक पर हर साल आयोजित होने वाले होली मिलन समारोह में इसी भावना काे आत्मसात करते हुए भैया जी को आमंत्रित करने की योजना बनायी गयी है. हां यह बात अलग है कि यहां होने वाले मिलन समारोह में हर बार प्रभात खबर के चीफ रिपोर्टर आमंत्रित किये जाते रहे हैं. धन्य हो यह त्याग.
चलिये यह बता दें कि दिल्ली में जिस कॉन्क्लेव में मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर विचार मंथन किया गया. उसमें वरिष्ठ पत्रकार/लेखक मृणाल पांडे, वरिष्ठ पत्रकार/लेखक ओम थानवी, केएन हरि कुमार (द डेक्कन हेराल्ड), सीमा मुस्तफा (द सिटीजन) के अलावा ओम थानवी ने विचार रखा था.
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