फतेह लाइव, रिपोर्टर










14 मार्च को जमशेदपुर में जुगसलाई पुलिस द्वारा एक भारतीय सेना के हवलदार सूरज राय के साथ बर्बरता की घटना सामने आई. सूरज राय अपनी चचेरी भाई विजय राय के साथ जुगसलाई थाना शिकायत दर्ज कराने गए थे, जब पुलिस ने न सिर्फ उनकी शिकायत सुनी, बल्कि उनकी भारतीय सेना में सेवा का उल्लेख करने के बावजूद उन्हें बेरहमी से पीटने और जेल भेजने की कार्रवाई की. यह घटना जमशेदपुर के पूर्व सैनिकों के लिए बड़ा आक्रोश का कारण बनी, और अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद जमशेदपुर ने जुगसलाई थाना पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया.
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सैनिक की पिटाई और जेल भेजने के बाद पूर्व सैनिकों का आक्रोश बढ़ा
पूर्व सैनिकों का आरोप है कि पुलिस ने सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाई है. उनका कहना है कि अगर किसी सैनिक से गलती हुई होती, तो पुलिस को इसके बारे में सेना के स्थानीय स्टेशन हेडक्वार्टर या आर्मी यूनिट को सूचित करना चाहिए था, बजाय इसके कि पुलिस ने अपनी तानाशाही दिखाते हुए एक सैनिक को बर्बर तरीके से पीटा और जेल भेज दिया. पूर्व सैनिकों ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. इसके अलावा, वे इस मुद्दे को स्टेशन हेडक्वार्टर सोनारी के अधिकारियों तक पहुंचाने का भी निर्णय ले चुके हैं.
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पूर्व सैनिकों ने पुलिस की तानाशाही के खिलाफ खोला मोर्चा
साथ ही, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद जमशेदपुर और वॉरियर्स ऑफ कोल्हान पूर्व सैनिक संगठन के प्रतिनिधियों ने यह संकेत दिया है कि अगर पुलिस ने इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की और दोषियों पर उचित कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़ा आंदोलन करने पर विचार कर सकते हैं. पूर्व सैनिकों का कहना है कि जो लोग भारतवर्ष की रक्षा करते हैं, उनके सम्मान और सुरक्षा का अधिकार देश के प्रत्येक नागरिक को होना चाहिए. इस घटना के बाद से यह सवाल उठने लगा है कि अगर पुलिस ने इस मामले को हल्के में लिया, तो यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठ सकता है, और इसकी गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय बैठक बुलाने की आवश्यकता है.
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पूर्व सैनिकों ने बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी
इस घटना के बाद से पूर्व सैनिकों के बीच गुस्सा और निराशा का माहौल है. पूर्व सैनिक अनुशासनप्रिय होते हैं और हर समस्या का समाधान शांतिपूर्वक तरीके से निकालते हैं, लेकिन पुलिस का यह रवैया चिंताजनक है. अगर पुलिस ने सैनिक का सम्मान नहीं किया और इस तरह का अमानवीय व्यवहार किया, तो यह पूरी सेना और उसके सम्मान से जुड़े मुद्दे पर सवाल खड़ा करता है. पूर्व सैनिकों का यह स्पष्ट संदेश है कि प्रशासन को इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए, और इस मुद्दे की उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए.