फतेह लाइव, रिपोर्टर.

वरिष्ठ पत्रकार अरुण रंजन का निधन मर्माहत करने वाला है. यह मेरी व्यक्तिगत क्षति है. अरूण रंजन जी से मेरा घनिष्ठ संबंध 1974 के जेपी आंदोलन के समय से रहा है, जिसका निर्वाह उनके अंतिम दिनों तक होता रहा. पाक्षिक पत्रिका रविवार और दैनिक समाचार पत्र नवभारत टाइम्स में उनकी पत्रकारिता के साथ मैं गहराई से जुड़ा रहा.

नवभारत टाइम्स का संपादक रहने के समय अरूण जी ने मुझे स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करने का अवसर दिया था. उस समय की बिहार की आर्थिक स्थिति पर लिखे गये मेरे साप्ताहिक कॉलम के आलेख “समय का लेख“ शीर्षक से दिल्ली के प्रभात प्रकाशन ने छापा तो अरूण जी ने उसकी भूमिका लिखी. एक मेधावी, मेहनती, दूरदर्शी पत्रकार के नाते अरूण जी की स्मृति स्थायी रहेगी. मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि. ईश्वर पुण्यात्मा को सद्गति प्रदान करें.

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