फ़तेह लाइव,डेस्क
कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ परिसर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर उत्पन्न विवाद को देश और समाज के लिए दुर्भाग्यजनक बताया है। उनके अनुसार देश का रूढ़िवादी तबका यथा स्थिति बनाए रखना चाहता है, जो वर्तमान में संभव नहीं है। ऐसे रूढ़िवादी तत्व ही इस लोकतांत्रिक देश में पुरानी वर्ण व्यवस्था के हिमायती और पोषक हैं । इस विचारधारा से देश और समाज का भला होने वाला नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में भारत का मजाक मखौल उड़ाया जा रहा है।
जिस संविधान विशेषज्ञ और देश के पूर्व कानून मंत्री भीमराव अंबेडकर जी की दुनिया के 50 से ज्यादा देशों एवं विश्वविद्यालय में लगी है। दुनिया के शोषित वंचित लोक उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। अमेरिका के सोशल जस्टिस विचारधारा को उन्होंने प्रेरित किया। प्रत्येक भारतीय को अंबेडकर पर गौरवान्वित होना चाहिए, लेकिन विडंबना है कि जातीय बोध के अभिमान में उनका तिरस्कार करते हैं। भारत में सदियों से वर्ण व्यवस्था के शिकार एवं पीड़ित लोगों को अंबेडकर की विचारधारा एवं संविधान के कारण मुख्य धारा में आने का लगातार अवसर मिल रहा है और हमें इसके लिए समाज, व्यवस्था और सरकार की सराहना करनी चाहिए।
कुलविंदर सिंह के अनुसार जिस भारतीय जनता पार्टी ने अंबेडकर को मरणोपरांत भारत रत्न से विभूषित किया है, इस पार्टी द्वारा शासित मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सामंतवादी रूढ़िवादी विचारधारा के वकील बाबा साहब की प्रतिमा उच्च न्यायालय की खंडपीठ परिसर में लगने नहीं दे रहे हैं। पिछले कई दिनों से यह विवाद है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस पर संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
कुलविंदर सिंह ने उन राजनीतिज्ञों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जो यह दावा करते हैं कि देश को प्रथम अनुसूचित जनजाति की महिला राष्ट्रपति दिया है, अंबेडकर को भारत रत्न दिया है, वे बाबासाहेब की प्रतिमा लगाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि देश के बड़े वर्ग को पॉलिटिकल लॉलीपॉप दिखाने हेतु बाबा साहब को भारत रत्न और देश को राष्ट्रपति दिया गया।