फतेह लाइव, रिपोर्टर

रविवार को बंगाली समाज में “जमाई षष्ठी” का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, जो दामाद के सम्मान और पारिवारिक स्नेह को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण पर्व है. भारतीय मानवधिकार एसोसिएशन पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष एसएन पाल के ससुराल में यह परंपरा पिछले 21 वर्षों से बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ आयोजित की जा रही है. इस अवसर पर ससुराल पक्ष विशेष पकवानों जैसे भात, दाल, मटन, चिकन, शुक्तो, माछेर झोल, चिंगड़ी मालाई करी, मिष्टी दोई आदि से दामाद का भव्य सत्कार करते हैं. दामाद को नए कपड़ों से भी सम्मानित किया जाता है, जिससे यह त्योहार खान-पान से परे एक सांस्कृतिक संदेश देता है.

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बंगाली त्योहारों में परिवार और रिश्तों का महत्व

यह पर्व केवल दामाद के सम्मान तक सीमित नहीं है, बल्कि विवाह के बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी सम्मान और जिम्मेदारी की भावना को भी प्रगाढ़ करता है. इस दिन दामाद भी सास को नए कपड़े, दही, मिठाई और फल लेकर ससुराल जाता है. युवा जोड़ों के लिए यह परंपरा यह सिखाती है कि शादी के बाद पारिवारिक सदस्यों को एक-दूसरे के निजी जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना चाहिए, ताकि स्वस्थ और मजबूत पारिवारिक वातावरण बन सके. “जमाई षष्ठी” रिश्तों को संजोने और पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है.

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