फतेह लाइव, रिपोर्टर.
क़ौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने सीजीपीसी (सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) के प्रधान सरदार भगवान सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्हें शायद कुर्सी प्यारी है और सिख सिद्धांत रहित मर्यादा से कोई मतलब नहीं है।
यदि सिख रहित मर्यादा, महान पंथ असूलों, सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति सच्चा समर्पण होता तो अब तक सार्वजनिक रूप से बयान दे देते कि 1एक सितंबर से गुरुद्वारा कमेटी में वही पदधारी रहेगा,जो श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा जारी फरमान के अनुसार परिपूर्ण है। अर्थात जिसने खंडे बाटे की पाहुल ली है, पांच ककार धारण कर रखा है, दाढ़ी केश कत्ल नहीं करवाया है, दाढ़ी केश नहीं रंगे हैं, जो नशा पान नहीं करता है।
छोटी-छोटी बातों पर बयान देने वाले और बड़ी-बड़ी रैलियां निकालने वाले भगवान सिंह पंथिक रहित मर्यादा मामले में खामोश बैठे हुए हैं? क्यों नहीं श्री अकाल तख्त साहब से जारी फरमान का हवाला देते हुए लोकल गुरुद्वारा कमेटियों के प्रधान को सार्वजनिक रूप से पत्र जारी करते कि 1 सितंबर से प्रधान और उसकी कमेटी के सभी पदधारी सिख रहित मर्यादा में परिपूर्ण रहे अथवा पद छोड़ दें।
इसकी शुरुआत खुद ही अपनी मानगो गुरुद्वारा कमेटी और आनंद विहार गुरुद्वारा कमेटी हिल व्यू कॉलोनी से क्यों नहीं करते, जिससे पूरे सिख समाज में सार्थक संदेश जाए। ऐसा वही करेगा जिसके अंदर जमीर जिंदा है और पद का लालची नहीं है?
कुलविंदर सिंह के अनुसार संस्था चीफ खालसा दीवान को लेकर श्री अकाल तख्त साहब से यह फरमान जारी हुआ लेकिन पहले से सभी गुरुद्वारा कमेटियों के लिए उक्त आदेश अपने अस्तित्व में है।