फतेह लाइव, रिपोर्टर.
परसुडीह के गैंताडीह में तंगहाली और बदनसीबी की मार झेलता एक पत्रकार का परिवार फिर से मुसीबत में आ गया है. दिवंगत पत्रकार बिनोद दास के आश्रितों को गत दिनों AISMJWA पत्रकार संगठन ने पत्रकारों और समाजसेवियों के सहयोग से नकद और श्राद्ध भोज में सहयोग किया गया था. इस राशि से पीड़ित परिवार ने टूटी झोपड़ी को रहने लायक बना लिया था. श्राद्धकर्म के बाद से पड़ोसी बिनोद दास के परिवार को डरा धमकाकर घर खाली करवाने के लिए प्रताड़ित कर रहे थे. घर खाली नहीं होने पर एक लाख रंगदारी स्वरूप मांगी गई थी जिसकी लिखित शिकायत बिनोद दास के पुत्र अभिषेक दास ने स्थानीय थाना परसुडीह को गत एक मई को दी थी. 10 दिन बीत जाने के बावजूद थाना प्रभारी फैज अहमद ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस बीच दबंगई दोबारा भी की गई और अभिषेक दास को धमकाया गया कि रविवार को घर छोड़ कर जाओ नहीं तो तोड़ दिया जाएगा.
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एसपी को सुनाएंगे अपनी व्यथा – अभिषेक दास
आज 12 मई को फिर वही हुआ जिसका डर था. पड़ोसी स्थानीय मुखिया सरस्वती टुडू को लेकर वहां जुटे फिर घर खाली करवाने की बात शुरू हुई, लेकिन अचानक कुछ युवकों ने तोड़ फोड़ शुरू कर दी. दास परिवार की महिलाओं से मारपीट और धक्का मुक्की भी हुई. पत्रकार के आश्रितों ने ऐसोसिएशन के पदाधिकारियों को सूचना दी और सभी पीड़ित थाना प्रभारी के पास दो घंटे बैठे रहे. एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया ने इसकी सूचना डीआईजी और थाना प्रभारी फैज अहमद को दी. शहरी जिला अध्यक्ष बिनोद सिंह ने भी सिटी एसपी से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है. पत्रकारों के बढ़ते दबाव के बाद थानेदार घटनास्थल पहुंचे जहां आरोपियों को ढूंढने पर पता चला कि सभी भाग गए हैं. यहां तक कि बार-बार बुलाने पर भी मुखिया थाना नहीं पहुंची. इस घटना से पीड़ित परिवार काफी डरा हुआ है. अभिषेक दास ने कहा कि हमलोग कल एसपी ऑफिस जाकर अपनी व्यथा बताएंगे.
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थानेदार क्यों बने हुए हैं मूकदर्शक?
इस पूरे प्रकरण में थानेदार की भूमिका संदेहास्पद है क्योंकि जब पत्रकारों ने उन्हें पहली बार ही मामला दर्ज करने का आग्रह किया तब से ही वे टाल मटोल करते रहे हैं. आज जब घर को तोड़-फोड़ कर दिया गया और महिलाओं से मारपीट भी हुई फिर भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर थाना प्रभारी फैज अहमद क्यों मूकदर्शक बने हुए हैं?