फतेह लाइव, रिपोर्टर


जमशेदपुर: ईद उल फितर का त्योहार मुस्लिम समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रमज़ान के पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है. इस दिन को लेकर मुस्लिम परिवारों में ख़ास तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं. ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह शुक्रिया अदा करने का दिन है, जिसमें रमज़ान की बरकतों और आशीर्वाद के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है. रविवार को 29वीं रोजा मुकम्मल करने के बाद चांद (शव्वाल माह) का दीदार किया जाएगा. अगर चांद नजर आता है तो सोमवार, 31 मार्च को ईद का त्योहार मनाया जाएगा, नहीं तो मंगलवार, 1 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी.
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ईद उल फितर : परंपराओं और खुशियों का संगम
ईद के अवसर पर सामाजिक एकता और परोपकार का विशेष महत्व है. इस दिन हर वर्ग के लोग एक साथ मिलते हैं, चाहे वे अमीर हों या गरीब. विशेष रूप से ईद की नमाज मस्जिदों और खुले मैदानों में बड़े जमावड़ों के साथ अदा की जाती है. नमाज के बाद लोग एक-दूसरे को “ईद मुबारक” कहकर शुभकामनाएँ देते हैं. परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने की परंपरा भी इस दिन को खास बनाती है. लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और बच्चों को ईदी के रूप में गिफ्ट्स देते हैं.
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ईद की दावत : स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ परोपकार का संदेश
ईद के इस पावन अवसर पर दावतों का आयोजन भी खास होता है. बिरयानी, कबाब, मिठाइयाँ और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं. यह अवसर न केवल परिवार के साथ समय बिताने का है, बल्कि जरूरतमंदों के साथ भी खुशियाँ बांटने का है. गरीबों को ज़कात और ईद की खैरात देना इस दिन का महत्वपूर्ण रिवाज है, जिससे समाज के कमजोर वर्ग को भी खुशियाँ मिलती हैं. ईद हमें सिखाती है कि रिश्तों को कैसे संजोएं, एक-दूसरे की मदद करें और खुशियों को फैलाएं.