फतेह लाइव, रिपोर्टर.

बारीडीह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एवं केंद्रीय गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के उपाध्यक्ष कुलविंदर सिंह ने इंडी गठबंधन प्रत्याशी समीर कुमार मोहंती की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार भगवान सिंह को इस्तीफा देने की सलाह दी है. कुलविंदर सिंह के अनुसार शहर में ऐसा पहली बार हुआ जब सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी ने अपनी बैठक में समीर मोहंती को वोट देने का फैसला लिया. वह फैसला भी एक तरफा था और सभी प्रधान इस फैसले के साथ सहमत नहीं थे. निजी हित, तुष्टि और पहचान के लिए प्रधान भगवान सिंह जिद पर उतर आए. यहां तक की झारखंड मुक्ति मोर्चा की चुनावी बैठकों और सभाओं में शामिल होकर इंडी गठबंधन के प्रत्याशी को वोट देने की अपील करते रहे. पूर्व में ऐसा किसी प्रधान ने नहीं किया था. ऐसा करते समय वे यह भूल गए कि कांग्रेस के खिलाफ सिखों की भावना है. वे अपने गुरुद्वारा मानगो के हॉल में लगी तस्वीरें को देखें और सोचें कि उन्होंने क्या किया है? उनमें थोड़ी भी नैतिकता बची है तो वह अपने पद पर नहीं रहेंगे? उनको लगा था कि समीर मोहंती का चुनाव सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की चुनाव की तरह है जहां विपक्ष में कोई नहीं रहेगा और जैसा रिजल्ट वे चाहेंगे वैसा मिल जाएगा.

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औद्योगिक शहर में किसानों की समस्या लेकर चल रहे थे भगवान सिंह

कुलविंदर सिंह के अनुसार जब लंगर में कमी होने से बारीडीह की संगत में बदनामी हुई और उन्हें पद से चले जाना चाहिए, यह दलील दी जाती है. यहां तो सरदार भगवान सिंह ने पूरी सिख कौम को दांव पर लगा दिया, यह उनके विवेक पर है कि वह बने रहते हैं अथवा पद छोड़ते हैं? सरदार भगवान सिंह औद्योगिक शहर में किसानों की समस्या को लेकर चल रहे थे. उनके कारण सिखों के खिलाफ प्रतिक्रिया हुई और समीर महंती को नुकसान उठाना पड़ गया. उन्हें इतिहास से सबक लेना चाहिए था कि सिखों की गोलबंदी के कारण बलदेव सिंह, दीनानाथ पांडे, इंदर सिंह नामधारी, शैलेंद्र सिंह, कमलजीत कौर गिल को हार का मुंह देखना पड़ा था.

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