क्या धर्माचार्य अर्चना को देवालय के गर्भ की परिक्रमा में योगासन की अनुमति देंगे
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
बारीडीह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एवं राष्ट्रीय सनातन सिख सभा के संयोजक अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा कि योगासन एवं नमाज की तुलना अज्ञानी ही कर सकते हैं। योग में केवल भक्ति योग अर्थात समाधि की अवस्था की तुलना नमाज तो क्या विभिन्न पूजा पद्धतियों के साथ की जा सकती है। जहां भक्ति भाव में व्यक्ति अंतरध्यान, होकर अपने ईस्ट परमात्मा अल्लाह वाहेगुरु के साथ आत्मा का साक्षात्कार करता है। श्रद्धा, भक्ति और ध्यान के द्वारा ही आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ा जा सकता है।
जहां शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम के नजरिए से विभिन्न योगासन की प्रक्रिया पूरी की जाती है उसे कोई भी धर्माचार्य पूजा उपासना पद्धति की संज्ञा नहीं दे सकता है। फिर किस तरह से स्वर्ण मंदिर परिसर के सरोवर परिक्रमा में अर्चना मकवाना के योगासन को धार्मिक नजरिया से सही ठहराया जा सकता है। उसे सही बताने वाले एवं उसकी तुलना सामूहिक नमाज से करने वाले शरारती तत्व क्या इजाजत देंगे कि वह विभिन्न पीठ, धाम और देवालय के गर्भ गृह के परिक्रमा में योगासन की विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रदर्शन करे।
फिर जो यह कह रहे हैं कि अर्चना मकवाना दलित है, तो भेदभाव हुआ है। यह तर्क देने वाले सिख पंथ के बारे में अध्ययन करें, पंथ में दलित को बहुत ऊंचा स्थान मिला है। संत रविदास की वाणी श्री गुरु ग्रंथ साहिब में समाहित है और दलितों को गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु का बेटा जैसे प्रियतम शब्द से संबोधित किया। सिख पंथ में जाति धर्म भाषा वर्ण को लेकर कहीं भी विभेद नहीं है। कुलविंदर सिंह के अनुसार सोशल मीडिया में दिखाया जा रहा है कि नमाज हो रही है। नमाज वास्तव में स्वर्ण मंदिर परिसर के बाहरी हिस्से में हो हुई थी।
स्वर्ण मंदिर में विभिन्न धर्मावलंबी दर्शन को जाते हैं और सरोवर किनारे समाधि अवस्था के दृश्य आम हैं। हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, इसाई हो या सिख, श्रद्धालु समाधि अवस्था में ध्यान में लीन होकर अपने इष्ट परमात्मा का साक्षात्कार करते हैं। किसी को ऐसा करने से रोक नहीं है लेकिन कोई सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर इस व्यवस्था का गलत फायदा उठाने की कोशिश करें तो उसे इसकी इजाज़त नहीं होनी चाहिए। अर्चना ने वहां समाधि योग नहीं बल्कि शारीरिक योग के आसन किए हैं।
यदि वहां किसी सिख धर्म के व्यक्ति ने भी इस तरह का योगासन किया होता तो उसके साथ भी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी वही कानूनी रास्ता अपनाती जो अर्चना मकवाना के मामले में हुआ है। आदिवासी कुलविंदर सिंह के अनुसार देश में कुछ स्वार्थी तत्व हैं जो सिख धर्म के प्रति गलत धारणाएं देश में स्थापित करना चाहते हैं, वे अपने कोशिश में कभी कामयाब नहीं होंगे। हां यदि कोई शरारती तत्व अर्चना मकवाना को धमकी दे रहा है तो उस मामले में कानूनसम्मत कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए।