• संगठन के नेताओं ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया

फतेह लाइव, रिपोर्टर

भारतीय मानवधिकार एसोसिएशन, पूर्वी सिंहभूम की ओर से आज 14 अप्रैल 2025 को डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती साकची स्थित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर मनाई गई. इस अवसर पर संगठन के जिला अध्यक्ष एसएन पाल, महासचिव वेद प्रकाश, नगर अध्यक्ष वाई दुर्गा राव, व्यापारिक गोष्ठी के सचिव रूपम राय और सहसचिव मुकेश कुमार भी उपस्थित थे. कार्यक्रम में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग चंद्रवंशी और प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र कुमार भी उपस्थित थे. इस कार्यक्रम में डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों और भारत के संविधान निर्माण में उनके योगदान को भी सराहा गया.

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संगठन के नेताओं ने डॉ. अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. वह दलित समाज के प्रमुख नेता थे जिन्होंने समाज में सुधार के लिए अथक प्रयास किए. बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध अंबेडकर भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे. अंबेडकर ने भारत के संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जन्म महार जाति में हुआ था, जिसे तब अछूत माना जाता था, और इस कारण उन्हें समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ा. अंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की और फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की. उनके द्वारा किए गए संघर्षों के कारण आज हम समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों के साथ एक लोकतांत्रिक समाज में रहते हैं.

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डॉ. अंबेडकर ने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने 1932 में पुणे समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें दलितों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की मांग को खारिज किया गया था. डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए संविधान में दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए अधिकार सुनिश्चित किए. 1947 में वह स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने और संविधान में समानता और स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धांतों को समाहित किया. 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनके योगदान को हम आज भी याद करते हैं. कार्यक्रम में उनके योगदान को याद किया गया और लोगों को उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी गई.

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