फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर में सोमवार संध्या 4:30 बजे से साहित्यिक संस्था मरुधर साहित्य ट्रस्ट के तत्वाधान में बिष्टुपुर स्थित होटल सेंटर पॉइंट में भव्य साहित्य गोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ मयंक मुरारी, रांची, विशिष्ट अतिथि रानी अग्रवाल, अध्यक्ष मारवाड़ी महिला मंच एवं ट्रस्टी नरेश अग्रवाल एवं महेश अग्रवाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
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मंच संचालन नवीन अग्रवाल ने किया। इस कार्यक्रम में लगभग 20 आमंत्रित साहित्यकारों ने भाग लिया, जिन्होंने बारी-बारी से रचना पाठ एवं अपनी रचना प्रक्रिया से लोगों को अवगत कराया।
इस कार्यक्रम में शामिल साहित्यकार गीता दुबे, पद्मा मिश्रा, नीता सागर चौधरी, ज्योत्सना अस्थाना, डॉ अरुण कुमार शर्मा, छाया प्रसाद, डॉ रत्ना मानिक, मीनाक्षी कर्ण, माधवी उपाध्याय, नवीन अग्रवाल, रीना सिन्हा सलोनी, सविता सिंह मीरा, निवेदिता श्रीवास्तव गार्गी, डॉ. लता मानकर प्रियदर्शनी ,वसंत जमशेदपुरी, दीपक वर्मा, पूनम सिन्हा भावशिखा, पूनम शर्मा स्नेहिल, नीलम पेड़ीवाल, उपासना सिन्हा, क्षमा श्री, सुदीप्ता राउत आदि थे।
कार्यक्रम के दौरान मरुधर साहित्य ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित चार पत्रिकाओं का लोकार्पण भी हुआ, जिसमें केवल जमशेदपुर के साहित्यकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ये वेब पत्रिकाएं हैं, जिन्हें लगभग 5000 लोगों द्वारा पढ़ा जाता है। इसके पिता, माता, पावस और रक्षाबंधन विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं।
मुख्य अतिथि डॉ मयंक मुरारी ने साहित्यकारों की रचनाओं की भूरि- भूरि प्रशंसा की तथा कहा कि जमशेदपुर का क्षेत्र साहित्य में राष्ट्रीय स्तर पर स्थान बना चुका है। यहां के लोग पूरी तरह साहित्य को समर्पित होकर लिख रहे हैं। इनकी रचनाएं देश के बड़े-बड़े अखबारों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही हैं । विशिष्ट अतिथि रानी अग्रवाल ने भी अपने उद्गार प्रकट करते हुए संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि रचनाकारों का पाठ बेहद उम्दा रहा तथा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर होते रहना चाहिए, यह साहित्य के हित में होगा, इससे भाषा एवं समाज का विकास होगा, लोगों में सामाजिक चेतना की जागृति होगी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन महेश अग्रवाल ने किया। संस्था के द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन साहित्यकारों एवं हिंदी को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किया जाता है। आगे भी इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रम करते रहने की संस्था की योजना है।