एमजीएम अस्पताल की शिफ्टिंग के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में पहुंचे सरयू राय
यह भी बोले सरयू राय-
-अभी मानगो के लोगों को ही पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है पानी
-अस्पताल को नई बिल्डिंग में शिफ्ट करें पर पहले पूरी तैयारी कर लें
-सतनाला डैम से अस्पताल को पानी की आपूर्ति की जाए
-आग लगने के बाद कुआं खोदना सरकार की नीति
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि एमजीएम अस्पताल को साकची के पुराने भवन से डिमना चौक के पास बने नये भवन में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन यह सुनिश्चित कराए कि अस्पताल को चलाने के लिए आवश्यक सारे इंतजाम वहां पर जितनी जल्द हो, कर लिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं कि अस्पताल का स्थानांतरण नए भवन में हो गया और अस्पताल चलाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं वहां आधी-अधूरी रह जाएं. इसे ध्यान में रखते हुए ही अस्पताल के पूरा स्थानांतरण की समय सीमा तय होनी चाहिए. नए भवन में अस्पताल के संचालन में पानी की व्यवस्था नहीं होना सबसे बड़ी बाधा है. इस बाधा को दूर करने का मुकम्मल उपाय होना चाहिए.
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अस्पताल के नए भवन में आयोजित समीक्षा बैठक के बीच में कुछ देर के लिए शामिल राय ने स्पष्ट रुप से अधिकारियों को बताया कि मानगो पेयजल परियोजना से फिलहाल अस्पताल संचालन के लिए पानी लेना संभव नहीं होगा. उनका तर्क था कि जितने पानी की व्यवस्था इस परियोजना में की गई है, उससे मानगो के सभी क्षेत्रों में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा है. कई क्षेत्रों में 10-15 मिनट के लिए पानी जाता है. कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पाइप लाइन बिछाई गई है पर वहां पानी नहीं पहुंच रहा है. कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां एक दिन ही पानी आता है, दूसरे दिन नहीं. इसको ध्यान में रखते हुए नए एमजीएम भवन में अस्पताल चलाने के लिए पानी का वैकल्पिक उपाय किया जाना चाहिए. राय ने कहा कि या तो डिमना लेक से टाटा स्टील के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक जाने वाली पाइप लाइन से प्रशासन पानी ले और उसे साफ करने के उपरांत अस्पताल में आपूर्ति करे. दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि डोबो स्थित सतनाला डैम से अस्पताल के लिए पानी की व्यवस्था की जाए.
राय के अनुसार, बैठक में उपस्थित पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मानगो पेयजल परियोजना में मानगो नगर निगम क्षेत्र में उपयोग करने के बाद पानी नहीं बच रहा है, जिसे अस्पताल या दूसरे अन्य कार्य के लिए दिया जा सके. समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने सूचित किया कि उन्होंने नए अस्पताल भवन के परिसर में दस डीप बोरिंग कराई है जिससे करीब 3 लाख लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति हो सकती है. एक नई योजना स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही है जिसमें स्वर्णरेखा से पानी खींच कर उसे अस्पताल परिसर में बने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाएगा. यह योजना सितंबर 2025 तक पूर्ण हो जाने की उम्मीद है. राय ने उनसे कहा कि अस्पताल के विभिन्न विभाग का ओपीडी यहां पहले आ रहा है और पूरा अस्पताल को नए भवन में स्थानांतरित करने के लिए जो तकनीकी जरूरतें हैं, उसे पूरा किये बिना नए भवन में अस्पताल पूरी तरह संचालित नहीं हो सकता है.
अस्पताल को पूरी तरह से स्थांतरित करने के पहले इसका परीक्षण हो जाना चाहिए ताकि यहां पर की गई सारी व्यवस्थाएं सुचारू रुप से काम कर सकें. उन्होंने कहा कि अभी तक दो-तीन महीने में जितनी व्यवस्थाएं होनी हैं, उसके लिए बोरिंग से मिल रहा पानी पर्याप्त है. इसलिए मानगो पेयजल परियोजना के लाभुकों का हक काट कर उनके हिस्से का पानी अस्पताल में लाने के बारे में सोचना अव्यवहारिक होगा. यदि अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन ऐसा सोच रहा है तो उन्हें अपनी सोच बदलनी होगी.
उन्होंने कहा कि मानगो पेयजल परियोजना का उद्देश्य मानगो के नागरिकों को पेयजल की उपलब्धता कराना है जो अभी तक पूरा नहीं हो पा रहा है. अभी तो बालीगुमा टंकी से पेयजलापूर्ति का काम भी आरंभ नहीं हुआ है. सिर्फ पाइपलाइन बिछा कर छोड़ दिया गया है. ऐसी स्थिति में मानगो पेयजल परियजना का पानी का इस्तेमाल अस्पताल में करना मुनासिब नहीं होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन अपनी सोच बदलेंगे.
सरयू राय ने कहा कि यदि एमजीएम अस्पताल का पुराना भवन जर्जर हो चुका है और नया भवन बन कर तैयार होने के करीब पहुंचने के बाद भी वहां पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है तो इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है. आग लगने के बाद कुआं खोदना इस सरकार की नीति बन गई है. इसी वजह से एमजीएम अस्पताल के पुराने भवन से अस्पताल को नए भवन में स्थानांतरितच करने में समस्या पैदा हो रही है. इसका स्थायी समाधान होना चाहिए.
राय ने कहा कि जुगाड़ वाली मनोवृत्ति से कुछ यहां से, कुछ वहां से लेकर अस्पताल सही तरीके से नहीं चलाया जा सकता. अस्पताल के विधिवत संचालन के लिए जो मौलिक जरूरतें हैं, जो आवश्यक सामग्रियां हैं, उनका पूरी तरह प्रबंध करने के बाद ही अस्पताल के विभिन्न विभाग यहां स्थानांतरित होंगे तो इससे मरीजों को सुविधा होगी. आधा अस्पताल नए और आधा पुराने भवन में लंबे समय तक चलाने से सबसे अधिक परेशानी मरीजों को ही होगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इसे ध्यान में रखते हुए मानगो पेयजल परियजना से अस्पताल के नए भवन में पानी लेने के बारे में नहीं सोचेगा. समीक्षा बैठक में आइएएस दीपांकर चौधरी, मानगो नगर निगम के उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार, एमजीएम अस्पताल के प्राचार्य डॉ. दिवाकर हांसदा सहित अस्पताल के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारी और एलएंटटी के अधिकारी उपस्थित थे.