फतेह लाइव, रिपोर्टर.
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। इसका असर देश की राजनीति पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह खुफिया रिपोर्टों से चिंतित हैं, क्योंकि मतदाताओं का रुझान साफ तौर पर तेजस्वी यादव के पक्ष में दिखाई दे रहा है।
सामाजिक न्याय के चिंतक एवं छपरा जिले के तरैया निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की करारी हार निश्चित है। बिहार में भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई सशक्त चेहरा नहीं है, इसलिए उन्हें विवश होकर नीतीश कुमार के सहारे चुनाव लड़ना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, राजद, वाम दल और वीआईपी का गठबंधन इस बार एनडीए पर भारी पड़ रहा है। संयोग भी इस बार बहुत शुभ है — 14 नवंबर को जहां देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है, वहीं उसी दिन युवा हृदय सम्राट तेजस्वी यादव का जन्मदिन भी है, और उसी दिन चुनाव परिणाम आने वाले हैं। इसलिए बिहारवासियों में उत्साह और जश्न का माहौल देखने लायक होगा।
पप्पू ने आगे कहा कि पड़ोसी राज्य झारखंड में भी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती और जोहार झारखंड दिवस के अवसर पर बिहार की जीत और सामाजिक न्याय का जश्न जोर-शोर से मनाया जाएगा। तेजस्वी यादव ने ‘हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी’ देने की घोषणा कर एक मास्टरस्ट्रोक खेला है, जिससे भाजपा नेतृत्व घबरा गया है।
उन्होंने कहा कि इस बार बिहार के मतदाता भाजपा और जदयू को करारा सबक सिखाएंगे। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी दलों पर व्यंग्य करते थे कि वे बिजली और पानी के बिल माफ कर “रेवड़ी” बांटते हैं, लेकिन आज स्थिति यह है कि तेजस्वी यादव के प्रभाव में आकर केंद्र सरकार भी केवल बिहार की महिलाओं के खातों में ₹10,000 भेजने और 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा करने पर मजबूर हो गई है।
जनता सब समझ रही है कि चुनाव के बाद ये वादे “जुमला” बनकर रह जाएंगे, और गृह मंत्री अमित शाह पिछली बार की तरह कह देंगे कि “यह सब तो चुनावी जुमले थे भाई।”



