2025 में होने वाले सीजीपीसी चुनाव की तैयारी में जुटा विपक्ष, मुखे की शातिर चाल से पैदा हुई घबराहट
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
कोल्हान के सिखों की सिरमौर संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) एक धार्मिक संस्था है, लेकिन यह अब एक राजनीतिक मंच का अखाड़ा हो गया है. पिछले कुछ दिनों से सीजीपीसी में चल रहे घटनाक्रम को देखते हैं तो इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता. लोकसभा चुनाव के दौरान सीजीपीसी के प्रधान भगवान सिंह के नेतृत्व में जिस तरह खुलकर क्षेत्रीय पार्टी को समर्थन किया गया. चुनावी सभाओं में शामिल होना और भाजपा का खुलकर विरोध करना. यह सबसे बड़ा उदाहरण है.
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अब अगर जानकारों की मानें तो इससे सीजीपीसी की छवि जहां तार तार हुई है. वहीं इस घटनाक्रम के बाद सीजीपीसी में भी फूट पड़ गई है. दूसरी ओर, इन दिनों सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे भी मैदान में उतर आये हैं. दिन भर दिन उनकी सक्रियता बढ़ती जा रही है. पिछले दिनों साकची में समाज हित में कराये गए एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने के बाद उनके हौंसले भी बुलंद देखे जा रहे हैं. हालांकि इससे पूर्व पटना साहेब में जाकर पटना चुनाव की राजनीति को गर्म कर दिया था. फिर, अपनी तटस्थ टीम के साथ झारखंड सिख समन्वय समिति की जम्बो कमेटी बनाकर उसका विस्तार करना, 15 अगस्त में झंडा फहराना, उससे पहले नामदाबस्ती गुरुद्वारा के चुनाव का रिजल्ट आने पर विजयी हुए उम्मीदवार जत्थेदार दलजीत सिंह का जोरदार स्वागत करके अपनी विरोधी टीम को जोर का झटका देने का प्रयास किया गया. सोनारी में ही फिर दलजीत सिंह को सम्मानित किया गया. इस समिति को बनाने का उद्देश्य भी सीजीपीसी की दोहरी नीति का विरोध ही बताया गया था.
अब चूंकि सीजीपीसी चुनाव 2025 में होने वाले हैं. 16 महीने का कार्यकाल वर्तमान कमेटी का बचा हुआ है. ऐसे में मुखे के पिच में उतरकर बैट पकड़ना यह इशारा कर रहा है कि मुखे आगामी चुनाव की तैयारी में लग गए हैं. इसकी चर्चा भी समाज में होने लगी है. उन्हें लोग मिल भी रहे हैं. वे भी लोगों के बीच पहुंच रहे हैं.
बारीडीह के मामले में खासकर सीजीपीसी के खिलाफ लोगों में नाराजगी देखी जा रही है. कुछ और गुरुद्वारा की दूसरी टीम भी चुनाव कराने के लिए सीजीपीसी के आगे सर मार रही है. लोस चुनाव में भाजपा का विरोध करने वाले सिख नेताओं की पार्टी के जिलाध्यक्ष को सम्मानित करने पर भी सिख राजनीति में काफी कटाक्ष हो रहे हैं. बहरहाल, अभी 16 महीने सीजीपीसी के चुनाव को हैं. उससे पूर्व सीजीपीसी में शुरु हुए विकास कार्यों पर संगत की नजरें टिकी हुई है कि क्या हो रहा है?