गुरु तेग बहादुर जी की शहादत एवं गुरु गोविंद सिंह जी की गुरुता गद्दी के 350 साल होने पर धार्मिक आयोजन की उठी आवाज
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
झारखंड राज्य में सरकार के स्तर से गुरु तेग बहादुर जी की शहादत एवं गुरु गोविंद सिंह जी की गुरता गद्दी दिवस के 350 वीं वर्षगांठ पर सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक आयोजन के प्रयास में झारखंड के युवा नेता सरदार सतबीर सिंह सोमू जुट गए हैं. शहर के नामचीन बुद्धिजीवी एवं प्रबुद्ध धार्मिक नेताओं से संपर्क अभियान शुरू कर रखा है.
भारतीय सिख समाज के राष्ट्रीय संयोजक सरदार सतबीर सिंह सोमू के अनुसार गुरु तेग बहादुर जी ने हिंदू धर्म संस्कृति एवं भारतीय बहुलवादी संस्कृति की रक्षा के लिए अपने तीन शिष्यों के साथ दिल्ली के चांदनी चौक में शहादत दी. तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर जल्लाद ने गुरु तेग बहादुर जी का शीश धड़ से अलग कर दिया था. वहीं उनके शिष्यों तीनों भाई मती दास, सती दास और भाई दयाला जी को भी अमानवीय ढंग से शहीद किया गया.
शहादत से पहले गुरु गोविंद सिंह जी ने ही उन्हें धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया. जब वह 9 साल के थे और गुरु बने थे. वह घटना भारतीय इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित है और उसे घटना ने भारतीय इतिहास को बदलकर रख दिया. 2017 में बिहार एवं झारखंड में सरकार के स्तर पर गुरु गोविंद सिंह जी का 350 वां प्रकाश पर्व आयोजित हुआ. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐतिहासिक आयोजन किया और अब सिख संगत को उम्मीद है की झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार बड़े स्तर पर आयोजन करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्र सरकार तथा देश के विभिन्न राज्य की सरकारों द्वारा कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं.
सोमू ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने ब्लूप्रिंट तैयार कर सिख समाज को प्रस्तावित आयोजन की जानकारी दी है. सतबीर सिंह सोमू के अनुसार वे सिख प्रतिनिधि मंडल के साथ राज्यपाल, मुख्यमंत्री, युवा एवं संस्कृति कल्याण मंत्री, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री तथा राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन एवं वाइस चेयरमैन से मिलेंगे. वाइस चेयरमैन सरदार ज्योति सिंह मठारू के नेतृत्व में आयोजन समिति का गठन करने तथा आवंटन जारी करने का आग्रह मुख्यमंत्री से करेंगे. आज जमशेदपुर के परिसदन में ज्योति सिंह मठारू से मुलाक़ात कर के कार्यक्रम कैसा करना है. उसकी रूप रेखा पर विचार हुआ. साथ में भाई अमरजीत सिंह (रांची), रविन्द्र सिंह रिंकू, प्रीतपाल सिंह, हरप्रीत सिंह जग्गी आदि उपस्थित रहे.