फतेह लाइव, रिपोर्टर।
सी.पी कबीर क्लब महिला समिति (टुईलाडूंगरी) की ओर से महिला समिति के अध्यक्ष देवकी साहू की अध्यक्षता में क्लब प्रांगण में पोरा उत्सव मनाया गया। इस दौरान “भाई मन तीजा लेवेला गुलगुला मिठाई लेके अपन बहिनी के घर जाही” गीत महिलाएं गुनगुना रही थी।
अच्छी फसल के लिए होती है बैल की पूजा
छत्तीसगढ़ में अच्छी फसल के लिए बैल यानी नंदी की पूजा की जाती है। यह पर्व भाद्रपद अमावस्या में मनाया जाता है। भगवान शिव माता पार्वती एवं नंदी जी की पूजा की जाती है।
अच्छे पकवान बनाती हैं महिलाएं
सुबह होते ही घर की महिलाएं छत्तीसगढ़ी पकवान बनाती हैं, जैसे चीला, अरसा, सोहारी, चौसेला, ठेठरी,खुरमी, बड़ा भजिया, खीर, गुलगुला। किसान अपनी गौ माता और बैलों को नहलाते हैं और उनके सींग व खुर में पॉलिश(पेंट) लगाकर सजाते हैं और गले में घुंघरू- घंटी या फिर कौड़ी से बने आभूषण पहनाकर पूजा करके आरती उतारते हैं। प्रसाद के रूप में गुलगुला, चीला, नारियल चढ़ाया जाता है। इस पर्व में मिट्टी या लकड़ी से बने (नंदी )बैल की भी पूजा की जाती है। पूजा के उपरांत पूजा में चढ़े प्रसाद को यदि उस परिवार में बेटी है तो उस प्रसाद और मिठाई को लेकर उसके ससुराल भाई या पिताजी तीज के लिए लेवाने जाते हैं।
मायके में मानते हैं तीज
पूजा के पश्चात भोजन के समय अपने रिश्तेदारों में करीबियों को सम्मान के साथ आमंत्रित करके एक दूसरे के घर में जाकर भोजन करते हैं। छत्तीसगढ़ी समाज में मायके में तीज मनाया जाता है। महिला समिति की तरफ से सभी सुहागिन महिलाओं को तीज के उपलक्ष में सुहाग का सामान दिया गया अलता, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, बड़े बुजुर्गों को टोवेल भेंट किया गया।
महिलाओं ने पर्व को लेकर रखे विचार
इस दौरान खेल प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ। गेड़ी का जुलूस निकलता है। यह बाँस से बनाया जाता है। उसके ऊपर खड़ा होकर चला जाता है। तीजा और पोरा के बारे में सभी महिलाएं अपने विचार व्यक्त किए। सामूहिक रूप से महिलाओं के बीच सुआ नृत्य हुआ।
इनका रहा सहयोग
कार्यक्रम में सहयोग करने वाली महिला सदस्य देवकी साहू, सरिता साहू, हेमा साहू, जमुना देवी, रानी, जूगबती, मैंना देवी, सावित्री, पुष्पा, गौरी, ननेश्वरी, रूपा, बेबी, हर्षा आदि ने उत्सव को मनाने में सहयोग किया।