• वेबेल टेक्नोलॉजी को बड़ी राहत, वसूली नोटिस पर रोक, अगली सुनवाई 5 अगस्त को

फतेह लाइव, रिपोर्टर

पूर्वी सिंहभूम जिले में सरकारी विदेशी शराब दुकानों का संचालन करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी वेबेल टेक्नोलॉजी लिमिटेड से उत्पाद विभाग द्वारा 20 करोड़ रुपये की वसूली के लिए जारी नोटिस पर झारखंड उच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी है. यह नोटिस झारखंड राज्य विबरेज कारपोरेशन लिमिटेड ने 11 अप्रैल 2025 को जारी किया था. इस मामले में वेबेल टेक्नोलॉजी के प्रतिनिधि द्वारा दायर रिट याचिका पर 10 जून को सुनवाई हुई. झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति एम. एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि नोटिस कंपनी को दिए गए पहले के आदेशों के अनुरूप नहीं है. इसलिए अगले आदेश तक नोटिस के तहत सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी गई है. अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को होगी.

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न्यायालय ने वेबेल टेक्नोलॉजी को दी अस्थायी राहत

ज्ञात हो कि वेबेल टेक्नोलॉजी लिमिटेड को पूर्वी सिंहभूम जिले में 110 सरकारी शराब दुकानों का संचालन करने का कार्य दिया गया था. कंपनी ने इन सभी दुकानों में कर्मियों की नियुक्ति की और संचालन शुरू किया. उत्पाद विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार, 1 जुलाई 2023 से 31 मार्च 2025 तक मदिरा बिक्री से प्राप्त धनराशि को विभाग के खाते में जमा करना था. इसके साथ ही प्रत्येक 15 दिनों में विभाग के अंकेक्षक द्वारा दुकानों की ऑडिट भी करनी थी. लेकिन, किसी भी समय ऑडिट नहीं की गई. अचानक विभाग ने कंपनी पर भारी रकम की वसूली का आरोप लगाकर 20 करोड़ रुपये की मांग कर दी, जिसके बाद मामला अदालत पहुंच गया.

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उत्पाद विभाग की वसूली पर सवाल, कंपनी ने उठाए गंभीर आरोप

याचिकाकर्ता वेबेल टेक्नोलॉजी का दावा है कि बिना कैबिनेट की अनुमति के ही उन्हें हटाया गया है. कंपनी का कहना है कि 1 जून 2024 के बाद से विभाग ने उनके अधीन कार्यरत कर्मचारियों का वेतन भुगतान बंद कर दिया. जबकि कंपनी ने अपने कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआई का भुगतान नियमित रूप से किया है. वर्तमान में करीब 350 कर्मचारी कंपनी के तहत कार्यरत हैं, जिनका मासिक वेतन लगभग 70 लाख रुपये है. इसके अलावा विभाग पर कंपनी का करीब 27 करोड़ रुपये बोनस और ओवरटाइम के बकाया भी है. इस विवाद ने कंपनी और विभाग के बीच विवाद को बढ़ा दिया है.

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350 कर्मचारियों का वेतन बकाया, विभाग पर 27 करोड़ का दावा

वेबेल टेक्नोलॉजी ने अदालत से न्याय की मांग करते हुए कहा है कि मामला सही तरीके से सुलझाया जाए ताकि कर्मचारियों को उनका वेतन मिल सके और अन्य विवाद का निपटारा हो सके. कंपनी का कहना है कि विभाग का दावा पूरी तरह गलत है और मामले को न्यायालय में लाना पड़ा है. इस विवाद के चलते झारखंड उच्च न्यायालय ने वसूली नोटिस पर रोक लगाकर कंपनी को बड़ी राहत दी है. अब सभी की निगाहें 5 अगस्त की अगली सुनवाई पर टिकी हैं.

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