बेटा सोमेश ने तोड़ दिया अपने पिता के जीत के अंतर का रिकॉर्ड
फुलप्रूफ रणनीति एवं कार्यकर्ताओं के मेहनत की बदौलत जीता झामुमो, भाजपा कार्यकर्ताओं में घोर निराशा
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर से सटे घाटशिला विधानसभा सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारी अंतर से जीत लिया है. झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (झामुमो) के प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को रिकॉर्ड मतों के अंतर से हरा दिया.
पिछले साल हुए विधानसभा के आम चुनाव में रामदास सोरेन (अब स्वर्गीय) ने भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन को लगभग 22 हज़ार मतों से पराजित किया था, तो अपने पिता के असामयिक निधन से रिक्त हुई इस सीट पर हुए उप चुनाव में सोमेश चंद्र सोरेन ने जीत के अंतर को बढ़ा कर रिकॉर्ड कायम किया है.
मतगणना सर्विस / पोस्टल वोटों की गिनती से शुरू हुई. उसके बाद पहले राउंड से ही झामुमो प्रत्याशी सोमेश को जो बढ़त मिलनी शुरू हुई, वह आखिरी यानी 20 राउंड तक बरकरार रही. झामुमो को तीसरे राउंड तक 16 हज़ार 110 वोट हासिल हुए थे तो भाजपा को 8 हज़ार 569 मत. यानी तीसरे राउंड तक झामुमो को 7541 वोटों की बढ़त मिली थी. तब तक 45 बूथों के ईवीएम में डाले गए वोटों की गिनती हुई थी. इस क्रम में एक बदलाव यह देखने को मिला कि चौथे से छठे राउंड तक झामुमो के लीड में कमी आई. तीसरे राउंड तक झामुमो 7541 वोटों से आगे चल रहा था. चौथे से लेकर छठे राउंड में झामुमो की लीड घटकर 6217 हो गई थी.
15 टेबल पर गिनती की जा रही थी. इस प्रकार देखा जाए तो चौथे से छठे राउंड तक बूथ संख्या 46 से 90 की गिनती हुई. इसका जिक्र प्रमुखता से इसलिए करना आवश्यक है क्योंकि आम मान्यता रही है कि भाजपा शहरी पार्टी है और इसे शहरी वोटरों का साथ अधिक मिलता है. घाटशिला विस क्षेत्र का बूथ संख्या 46 मऊभंडार में पड़ता है.
बता दें कि मऊभंडार में इंडियन कॉपर कम्प्लेक्स कंपनी अवस्थीत है और यह कॉलोनी एरिया है. यहां से लेकर घाटशिला मार्केट यानी शहरी इलाके में 46 से 90 नंबर तक का बूथ है. पिछले आम चुनाव में भाजपा को इं बूथों पर 6168 वोटों कि बढ़त हासिल हुई थी.
इस बार झामुमो ने सेंधमारी करके यहां से पिछले चुनाव के मुकाबले 4844 वोट अधिक झटकने में कामयाब रहा और मात्र 1324 वोटों की बढ़त इस दफा भाजपा घाटशिला शहरी क्षेत्र से मिल पायी है. 7 राउंड से झामुमो ने पुन : लीड की रफ़्तार धर लिया और प्रत्येक राउंड में बढ़त को जारी रखा.
झामुमो को पहले राउंड से लीड को देखते हुए मतगणना केंद्र के अंदर भाजपा के काउंटिंग एजेंट्स की दशा ऐसी हो चली कि 9 रिड में उसका एक एजेंट बाहर निकल आया. अंतिम राउंड तक भाजपा के कुछ ही काउंटिंग एजेंट अंदर रहे थे.
दूसरी ओर, राउंड – दर – राउंड बढ़त मिलते देख झामुमो के कार्यकर्ताओं ने सातवे राउंड से ही आतिशबाज़ी करना आरम्भ कर दिया था और 11 राउंड तक अपने विजयी प्रत्याशी सोमेश सोरेन के लिए फूलों से सजी खुली जीप मतगणना केंद्र के बाहर मंगवा लिया था.
बहरहाल, झामुमो ने घाटशिला सीट बड़े अंतर से जीत ली है, किन्तु सच तो यह भी है कि इतनी बड़े जीत का भरोसा पार्टी को भी नहीं रही थी. बड़े अंतर से जीत मिलते देख मतगणना स्थल पर हालांकि कुछ लोग कहते थक नहीं रहे थे कि हम तो पहले से जानते थे कि इतनी बड़ी जीत मिलना तय है, लेकिन यह गलतबयानी के अलावा कुछ नहीं है.
झामुमो के एक चुनावी रणनीतिकार ने तीन दिनों पहले ‘ आज़ाद सिपाही ‘ के साथ अनोपचारिक बातचीत के क्रम में कहा था कि उनके दल का प्रत्याशी लगभग 15 हज़ार के अंतर से जीत जायेगा. हां, चुनावी मंच से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन सहित प्राय : सभी वक्ताओ ने पिछले बार की अपेक्षा अधिक वोट से विजयी बनाने की अपील की, लेकिन उस बयान को चुनावी जुमला से अधिक कुछ नहीं माना जा सकता है.
दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू समेत अन्य नेताओं ने होने पार्टी प्रत्याशी के जीत को तय बता रहे थे अपने बयान में, लेकिन चुनाव होने के बाद भाजपा के स्थानीय नेता जीत के प्रति आश्वश्त नहीं दिख रहे थे और यही कहते रहे थे कि 4-5 हज़ार वोटों से पार्टी को जीत मिल सजती है.
झामुमो नेताओं ने कहा कि गुरुजी और रामदास सोरेन के निधन के बाद यह पहला चुनाव है, इसलिए पार्टी को सहानुभूति का लाभ मिला. इसके साथ ही मुख्यमंत्री और पार्टी के अन्य नेता आम जनता तक जो सन्देश पहुंचाना चाहते थे, वह जनता तक पहुंचाने में सफल रहे. इसी प्रकार, झामुमो के चुनावी रणनीतिकारों ने जो ठोस रणनीति बनाई. उसे कार्यकर्ताओं ने पूरी मनोयोग से जमीनी हकीकत में तब्दीत करके दिखलाया और अपने पार्टी के प्रत्याशी को भारी जीत दिलाने ने सफल रहे.
दूसरी ओर, भाजपा के जिला, मंडल एवं पंचायत स्तरीय नेता – कार्यकर्ताओं ने हार के उपरांत दबी जुबान में बताया कि प्रदेश एवं महानगर से आये पार्टी पदधारियों ने उन सभी को सिर्फ और सर्फ़ पोस्टमैन बनाकर रख दिया था. बूथ स्तरीय कमेटी तक व्यवस्था बाहर से आये नेताओ ने खुद अपने हाथों से दिया. स्थानीय नेताओं को बहुत ज्यादा खुलकर या अपने तरीके से काम करने की स्वतंत्रता नहीं मिली थी.


